नई दिल्‍ली. कश्‍मीरी पंडितों के नरसंहार और कश्‍मीर से उनके पलायन पर बनी फिल्‍म द कश्‍मीर फाइल्‍स देश और दुनिया में चर्चा में छाई हुई है. इसकी कहानी, डायलॉग और किरदारों को लेकर सोशल मीडिया में भी तमाम प्रतिक्रियाएं हैं. इस फिल्‍म में उस खूंखार आतंकी बिट्टा का किरदार भी है, जो असल में बीस लोगोंं की हत्‍याएं कर चुका था, जिसमें से अधिकतर कश्‍मीरी पंडित थे. इस फिल्‍‍‍म ने एक बार फिर कश्‍मीर के सबसे खतरनाक आतंकी बिट्टा कराटे यानी फारूक अहमद डार के आतंक, निर्दोषों की हत्‍याओं और उन दर्दनाक घटनाओं की याद दिला दी है.

इसमें सबसे बड़ी बात कि कई हत्‍याओं के इस आरोपी को फांसी की सजा का डर था, लेकिन वह बाद में जमानत पर रिहा हो गया. उसके खिलाफ ठोस सबूत नहीं मिल पाए थे. उसके मीडिया को दिए गए इंटरव्‍यू में वह खुद हत्‍याओं के बारे में बताया था. बिट्टा कराटे ने इंटरव्‍यू में स्‍वीकार किया था कि वह पाकिस्‍तान से ट्रेनिंग लेकर आतंकी बना था. उसने बताया था कि वह जब केवल बीस साल का था तब स्‍थानीय प्रशासन से परेशान होकर आतंकी बना था.

बिट्टा कराटे ने बीस लोगों की हत्‍या की थी जिसमें आरएसएस के सतीश कुमार टिक्‍कू की हत्‍या शामिल है. उसने कहा था कि कश्‍मीर लिबरेशन फ्रंट का एरिया कमांडर इशफाक मजीद वानी के आदेश पर हत्‍या करता था. बिट्टा ने कहा था कि यदि उसे अपने भाई या मां की हत्‍या करने का आदेश मिलता तो वह मना नहीं करता. उसने कई कश्‍मीरी पंडितों की हत्‍या की थी. बिट्टा कराटे को पुलिस ने पब्लिक सेफ्टी एक्‍ट के तहत गिरफ्तार किया था. वह 2006 में जम्‍मू की टाडा कोर्ट से जमानत पर रिहा हो गया था. इस दौरान करीब 16 साल वह जेल में रहा. ऐसी खबर है कि जांच एजेंसियां उसके खिलाफ ठोस सबूत जुटा नहीं पाईं थी.