लखनऊ. आत्महत्या के मामलों में इन दिनों काफी इजाफा हुआ है। अधिकतर मामलों में बीमारी, बेरोजगारी या पारिवारिक कलह ही प्रमुख वजह सामने आई हैं। आर्मी से जुड़ीं मनोवैज्ञानिक डॉ. सोनिया भट्ट का कहना है कि आत्महत्या किसी परेशानी का हल नहीं है। जिन लोगों के अंदर इस तरह के विचार आएं वे ध्यान रखें कि हालातों का सामना करेंगे तो निश्चित रूप से कल बेहतर होगा। किसी के मन में खुदकुशी का ख्याल आए तो अपने परिवार के किसी सदस्य या खास दोस्त से बातें करें। मन में बात रखने से परेशानी धीरे-धीरे अवसाद का रूप ले लेती है। ऐसे में किसी अपने से परेशानी साझा करें। इससे न सिर्फ मन हल्का होगा बल्कि संभव है कि परेशानी दूर करने का कोई उपाय ही निकल आए। डॉ. सोनिया का कहना है कि ध्यान रखें कि ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान न हो। सकारात्मक सोच रखेंगे तो आधी परेशानी अपने आप दूर हो जाएगी। ध्यान रखें कि जिंदगी में हार के बाद जीत भी होती है।
दुश्वारी आज है, कल नहीं है।
जिंदगी इतनी मुश्किल नहीं है।
खोजने से हल निकलेगा ‘सहज’
खुदकुशी कोई हल नहीं है।
जीवन, ईश्वर की अनमोल देन है। थोड़ी सी दुश्वारियां आने पर कई लोग हिम्मत हार जाते हैं और इस अनमोल जिंदगी को खुद ही खत्म कर देते हैं। राजधानी में इन दिनों खुदकुशी के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। जरा-जरा सी बात पर लोग आत्महत्या कर रहे हैं। राजधानी लखनऊ में एक जनवरी से 28 फरवरी तक 178 लोगों ने खुदकुशी कर ली। इनमें 50 महिलाएं, 85 युवा व 43 अन्य लोग शामिल हैं। ये आंकड़े न सिर्फ चौंकाने वाले हैं बल्कि हमें सचेत भी करते हैं कि हम अपना व अपनों का ख्याल रखें। ध्यान रखें कि कहीं कोई अपना किसी तनाव में तो नहीं है। महज सहानुभूति और अपनेपन का अहसास दिलाकर ही हम ऐसे लोगों की जान बचा सकते हैं।
अवसाद में बदल जाती है परेशानी
डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. प्रियंका जायसवाल का कहना है कि कोई परेशानी होने पर तनाव होता है। यदि दो सप्ताह तक तनाव बना रहे तो वह अवसाद में तब्दील हो जाता है। ऐसे में अपनी परेशानी अपनों से साझा कर हम तनाव दूर कर सकते हैं। इसके बाद भी खुदकुशी का विचार आए तो ये बात जरूर ध्यान रखें कि कोई भी व्यक्ति न हमेशा हंस सकता है और न ही हमेशा रो सकता है। इसका मतलब है कि समय एक सा नहीं रहता। कोई परेशानी हो तो अपनों से खुलकर बातचीत करें। ध्यान रखें कि हम समाज से जुड़े हैं। हमारे न होने से हमारे घर-परिवार, दोस्तों पर क्या बीतेगी? इस पर भी विचार जरूर करें।
संकेतों को न करें नजरअंदाज
बलरामपुर चिकित्सालय के मनोचिकित्सक डॉ. देवाशीष शुक्ल का कहना है कि अधिकतर मामलों में देखा जाता है कि खुदकुशी करने वाले ने कुछ दिनों पहले बातचीत के दौरान किसी न किसी से ऐसा करने की बात अवश्य कही होती है। आपका कोई अपना, दोस्त या सहकर्मी यदि ऐसा बोले तो उससे खुलकर बात करें। उसकी परेशानी पूछें। निश्चित तौर पर वह अपनी परेशानी साझा करेगा। इस तरह आपकी सहानुभूति और अपनापन उसकी जान बचा सकता है। हालांकि अचानक किसी बात पर गुस्सा आने पर भी खुदकुशी के कुछ मामले सामने आते हैं मगर अधिकतर के पीछे किसी बात को लेकर हताशा या तनाव ही होता है।
ये तथ्य भी जानें
– ठंड में अवसाद की समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में सर्दी के मौसम में खुदकुशी की घटनाएं बढ़ जाती हैं।
– पूरी दुनिया में प्रतिवर्ष करीब आठ लाख लोग खुदकुशी करते हैं।
– राजधानी में दो माह के भीतर 172 लोगों ने किया सुसाइड।
– गंभीर बीमारी, पारिवारिक कलह, आर्थिक स्थिति व जीवन में असफलता बनती है वजह।
– ऐसा करने वाले कुछ दिनों पहले अपनी बातों में संकेत अवश्य दे देते हैं।
इन बातों का ध्यान रखें
– जो बात बुरी लगे, वो घरवालों को जरूर बताएं
– जिंदगी के प्रति रखें संतुलित नजरिया
– दिनचर्या में सुधार लाएं
– संतुलित खानपान और व्यायाम करें
– अपनी पसंद के काम करें
– हंसे, घूमें और म्यूजिक सुनें
– तनावग्रस्त लोगों को अकेला न छोड़ें, उनसे सकारात्मक बातें करें
– तनावग्रस्त लोगों के आसपास ऐसा कुछ न हो, जिससे वे खुद को नुकसान पहुंचा सकें।
– नशे से दूर रहें। ये तनाव की ओर ले जाएगा।
अवसाद से जुड़े ये तथ्य भी जानें
– अवसाद से पीड़ित लोगों के लिए हर सरकारी अस्पताल में मन कक्ष है। जहां मदद के लिए काउंसलर होते हैं।
– प्रत्येक चार पुरुषों में से एक डिप्रेशन का शिकार है।
– प्रत्येक तीन महिलाओं में से एक डिप्रेशन का शिकार है।
– हर इंसान जीवन में कभी न कभी चिंता या डिप्रेशन से अवश्य गुजरता है।
– इसका लक्षण दिखना जरूरी नहीं है, काउंसिलिंग से होती है पुष्टि
हाल की चर्चित घटनाएं
– 12 फरवरी की रात विभूतिखंड में बहराइच के रहने वाले संतोष व उसकी प्रेमिका नंदिनी ने ट्रेन से कटकर जान दे दी।
– 25 फरवरी को गोमतीनगर रिटायर्ड आईएफएस अतिबल सिंह ने बीमारी से परेशान होकर लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारकर खुदकुशी की।
– 26 फरवरी को इंदिरानगर निवासी डॉ. सुधीर वर्मा की पत्नी अंजू (49) ने बीमारी से परेशान होकर पति के लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारकर जान दी।