नई दिल्लीः साल 2019 में पाकिस्तान के जांचकर्ताओं के हवाले से खबर आई थी, जिसमें कहा गया था कि 2018 से लेकर 2019 के बीच करीब 629 पाकिस्तानी ‘दुल्हनों’ की चीन में तस्करी की गई थी. इस रिपोर्ट पर काफी हल्ला मचा था. लेकिन सभी 52 चीन के आरोपी छूट गए. यही नहीं, 2019 के बाद से दुल्हन तस्करी के मामले मीडिया में आना ही बंद हो गए. अमेरिका के एक थिंक टैंक के मुताबिक, इसकी वजह चौंकाने वाली है. उसने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि पाकिस्तानी लड़कियों और महिलाओं की चीन में दुल्हन बनाकर की जाने वाली तस्करी के मामलों को पाकिस्तान और चीन की सरकारों ने मिलकर ठंडे बस्ते में डलवा दिया था. पाकिस्तान ने ऐसा इसलिए किया था ताकि उसके सदाबहार मित्र चीन को किरकिरी से बचाया जा सके. ऐसा करके पाकिस्तानी हुक्मरानों ने अपने ही नागरिकों के मानवाधिकार उल्लंघन पर आंखें बंद कर लीं थीं.

2019 में इंटरनैशनल मीडिया में कई ऐसी रिपोर्ट्स आई थीं, जिनमें बताया गया था कि चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर के इलाकों से पाकिस्तानी लड़कियों को बहला-फुसलाकर अवैध तरीके से चीन भेजा जा रहा है. इन लड़कियों को चीनी लड़कों के साथ शादी का झांसा दिया जाता था. उन्हें अच्छे रहन-सहन और बेहतर जिंदगी के सपने दिखाए जाते थे. लेकिन एक बार मानव तस्करों के जाल में फंस जाने के बाद जब लड़कियां चीन पहुंचती थीं तो उनके ख्वाब चकनाचूर हो जाते थे. उन्हें सेक्स गुलाम के तौर पर रखा जाता था. जबरन यौनशोषण किया जाता था. वेश्यावृत्ति कराई जाती थी. उन्हें बेहद बुरे माहौल में जिंदगी काटनी पड़ती थी.

मीडिया में लगातार ऐसी खबरों के बाद पाकिस्तान में एक्शन भी हुआ था. पाकिस्तान की फेडरल जांच एजेंसी ने 52 मानव तस्करों को गिरफ्तार किया था. ये सभी चीन के नागरिक थे. लेकिन कुछ ही समय बाद इन सबके खिलाफ अदालतों में चल रहे मुकदमे ठंडे पड़ने लगे. एक-एक करके आरोपी जेल से छूट गए. फैसलाबाद की एक अदालत ने तो एकसाथ 31 चीनी नागरिकों को बरी कर दिया. कुछ जांचकर्ताओं और कोर्ट अधिकारियों ने तब कबूल किया था कि गवाहों को धमकियां और पैसों का लालच देकर बयान बदलने पर मजबूर किया गया था.

अब अमेरिकी थिंक टैंक ब्रूकिंग्स फॉरेन पॉलिसी की रिपोर्ट से एक बार फिर ये मुद्दा चर्चा में आया है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दुल्हन तस्करी के आरोपी चीनी नागरिकों को पाकिस्तान सरकार की शह पर बरी किया गया था. मामले की जांच कर रहे अधिकारियों पर दवाब बनाया गया था कि वो इस केस पर ज्यादा जोर न दें. पत्रकारों से ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग न करने को कहा गया था. पाकिस्तान सरकार ने आरोपी तस्करों को खुद देश से बाहर जाने में मदद की थी.

इस रिपोर्ट की लेखिका मदीहा फजल ने लिखा है कि पाकिस्तान ने अपने सदाबहार दोस्त देश चीन को फजीहत से बचाने के लिए ये सब किया था. उसने अपने नागरिकों के मानवाधिकार हनन को अनदेखा कर दिया था और केस बंद करा दिए थे. यही नहीं, नए केसों की रिपोर्टिंग पर भी रोक लगा दी थी. दिसंबर 2019 के बाद से दुल्हन तस्करी का एक भी केस सामने नहीं आया है. संयोग से इस दौरान कोरोना महामारी की वजह से अंतरराष्ट्रीय सीमाएं भी बंद रहीं. पाकिस्तान के इस कथित दोगलेपन का ये इकलौता उदाहरण नहीं है. वह चीन में उइगुर मुसलमानों पर होने वाले अत्याचारों पर भी आंख बंद किए बैठा है ताकि उसे चीन सरकार से आर्थिक, सैन्य और दूसरी तरह की मदद मिलती रहे.