इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने रूस दौरे को भले ही उपलब्धि करार दे रहे हों, लेकिन हकीहत ये है कि व्लादिमीर पुतिन ने उन्हें ‘बलि के बकरे’ के तौर पर इस्तेमाल किया. इमरान ऐसे वक्त मॉस्को पहुंचे थे जब रूस यूक्रेन पर हमले की तैयारी को अंतिम रूप दे रहा था. दरअसल, पुतिन चाहते थे कि दुनिया का ध्यान उनकी तैयारियों से हटकर किसी और मुद्दे पर चला जाए और इमरान की यात्रा इसी का हिस्सा था. यानी खुद को तीसमार खां समझने वाले खान जोकर साबित हुए हैं.
‘कोई दूसरा लीडर शायद ही रूस जाता’
रणनीतिक मामलों के जानकार वैलेरियो फैब्री ने अपने ब्लॉग में इमरान के ‘जोकर’ बनने के बारे में लिखा है. उन्होंने विश्लेषकों के हवाले से बताया है कि रूस और यूक्रेन के बीच टेंशन को देखते हुए कोई भी दूसरा लीडर मॉस्को की यात्रा से बचता, लेकिन पाकिस्तानी PM इमरान खान वहां पहुंच गए. दरअसल, इमरान यह दर्शाना चाहते थे कि वो रूस के साथ नजदीकी बनाने में कामयाब रहे हैं, ताकि ‘घर’ में उन्हें वो सम्मान और वाहवाही मिले, जिससे वो अब तक महरूम रहे हैं. इसलिए बिना ज्यादा कुछ सोचे वो मॉस्को पहुंच गए.
फायदे की आस में हो गया नुकसान
फैब्री ने आगे लिखा है, ‘हालांकि, इमरान की यात्रा अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में विफल रही और इसने पश्चिमी देशों के साथ पाकिस्तान के संबंधों को खतरे में डाल दिया’. फैब्री के मुताबिक, अभी ये देखना बाकी है कि क्या पुतिन इस साल के अंत में इस्लामाबाद आने के खान के निमंत्रण को स्वीकार करेंगे. यदि पुतिन ऐसा करते हैं, तो वो पाकिस्तान का दौरा करने वाले पहले रूसी नेता होंगे. हालांकि, इसकी संभावना कम है कि पुतिन भारत को नाराज करके पाकिस्तान से नजदीकी बढ़ाएं.
पुतिन के जाल में फंस गए इमरान
क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग की उम्मीद के साथ रूस पहुंचे थे, लेकिन,परिणाम इसके एकदम उलट रहे. यात्रा के बाद दोनों पक्षों द्वारा जारी अलग-अलग प्रेस विज्ञप्ति में किसी समझौते का जिक्र नहीं किया गया. इसके अलावा दौरे के समय को लेकर इमरान को आलोचना भी झेलनी पड़ी. कुल मिलाकर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का रूस दौरा बुरी तरह विफल रहा. वो पुतिन द्वारा रचे गए जाल में खुद जाकर फंस गए