इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ दो अप्रैल से होगा। इस दिन पूर्वाह्न 11.28 बजे तक एकम है। इसलिए इस अवधि के पूर्व ही कलश स्थापना करना आवश्यक है। नवदुर्गा मंदिर के संस्थापक व महावीर मंदिर, रमना मैदान के महंत सुमन बाबा ने बताया कि प्रात: काल 5.50 बजे से लेकर पूर्वाह्न 11.28 बजे के बीच श्रद्धालु कलश स्थापना का शुभ समय होगा। इस दिन शनिवार होने के कारण मां का आगमन घोड़े पर हो रहा है। यह सत्ता परिवर्तन का सूचक है। युद्ध का संदेश है और नया शासन का योग है।

इस वर्ष के राजा शनि हैं और चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिन भी शनि होने के कारण राष्ट्र आय और कर्म के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ होगा। पिछले वर्षों की तुलना में आने वाला समय हर तरह से मजबूत होगा। इस चैत्र नवरात्रि में विशेष बात ये है कि इस वर्ष किसी भी तिथि का क्षय नहीं होने के कारण पूरे नौ दिनों की नवरात्रि होगी। आठ अप्रैल को सप्तमी है। इस दिन मां का पट खुलेगा। 10 अप्रैल को नवमी है। इस दिन हवन व कन्या पूजन होगा। वहीं 11 अप्रैल को दशमी है।

चैत्र नवरात्र तंत्र साधना के लिए सबसे महत्वपूर्ण अवधि है। तंत्र में छह भाग हैं। इस अवधि में इनकी सिद्धि के लिए वनदुर्गा स्त्रोत, दशमहा विद्या स्त्रोत, विपरीत प्रत्यांगिरा स्त्रोत, दक्षिणेश्वरी काली स्त्रोत, पंचुमुखी हनुमत कवच स्त्रोत है।

पांच अप्रैल से चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान होगा। नहाय खाय से अनुष्ठान का शुभारंभ होगा। छह अप्रैल को खरना होगा। वहीं सात अप्रैल को श्रद्धालु अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अघ्र्य देंगे। वहीं आठ अगस्त को श्रद्धालु उदीयमान भगवान भास्कर को अघ्र्य देकर पारण करेंगे।

अप्रैल को रामनवमी
10 अप्रैल को रामनवमी है। इसकी तैयारी जोरों पर है। श्रीरामनवमी शोभायात्रा समिति के बैनर तले लगभग एक माह से तैयारी शुरू की गई है। इस दिन शहर में विशाल जुलूस निकाला जाता है।