योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ ग्रहण कार्यक्रम हो चुका है। सीएम, डिप्टी सीएम समेत सभी मंत्री शपथ ले चुके हैं। इस शपथ के अनुसार पहले कार्यकाल में डिप्टी सीएम रहे दिनेश शर्मा अपनी कुर्सी बचाने में असफल रहे हैं। वहीं हार के बाद भी केशव प्रसाद मौर्य का डिप्टी सीएम बन गए हैं।

इस बार योगी आदित्यनाथ के साथ 52 मंत्रियों ने शपथ ली। इसमें केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक डिप्टी सीएम हैं। अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर हारने के बाद भी कैसे केशव प्रसाद मौर्य अपनी कुर्सी कैसे बचा ले गए और दिनेश शर्मा की कुर्सी कहां फंसी रह गई? दरअसल पहले ये कहा जा रहा था कि दिनेश शर्मा की कुर्सी रहेगी और केशव प्रसाद मौर्य की कुर्सी जाएगी, लेकिन जो शपथ हुआ है, उसमें केशव प्रसाद मौर्य, दिनेश शर्मा पर भारी पड़े हैं।

रिपब्लिक भारत के अनुसार दिनेश शर्मा ने इस मामले पर कहा- “भाजपा में, जाति, धर्म और क्षेत्र के आधार पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता है। भाजपा एक सामूहिक टीम है जिसमें ‘मैं’ नहीं बल्कि ‘हम’ हैं। हर कोई प्रयास करता है और एक साथ काम करता है। केवल एक बात दिमाग में है- उत्तर प्रदेश के लोगों के कल्याण के लिए हम अपने प्रयासों को कैसे बढ़ा सकते हैं। इस सामूहिक दृष्टिकोण ने भाजपा को भारी बहुमत के लिए लोगों को प्रेरित किया है। योगी जी और मोदी जी के करिश्माई नेतृत्व और डबल इंजन सरकार ने लोगों में उत्साह पैदा किया”।

योगी यूपी में रचेंगे इतिहासः कभी संसद में छलक आए थे आंसू, लगाई थी मदद की गुहार, अब दूसरी बार बनेंगे सीएम कहा जा रहा है कि दिनेश शर्मा का चुनावी मैदान में न उतरना उनके खिलाफ गया है। केशव मौर्य बीजेपी के राज्य स्तर के बड़े नेता रहे हैं, प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं, ओबीसी पहचान भी रही है, और एक बड़ा जनाधार भी उनके साथ है। इसके अलावा 2017 की प्रचंड जीत में उनकी बड़ी भूमिका रही है। पिछले कार्यकाल में नंबर दो की हैसियत से वो काम करते रहे हैं। बीजेपी से जब स्वामी प्रसाद मौर्य अपने साथियों के साथ चले गए तो ओबीसी के बड़े चेहरे के तौर पर केशव प्रसाद मौर्य ही रहे। साथ ही 2024 के लिए भी केशव प्रसाद मौर्य का चेहरा बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

वहीं दिनेश शर्मा का ब्राह्मण होना उनके सपोर्ट में तो था, लेकिन चुनाव जीतने वाले ब्रजेश पाठक ब्राह्मण कोटे वाले डिप्टी सीएम के लिए दिनेश शर्मा से आगे दिखे और उन्होंने इसमें बाजी मार ली। वहीं ब्राह्मण समुदाय में उनकी पैठ भी बड़े दायरे पर नहीं दिखती है।

कहा जाता है कि डिप्टी सीएम रहने के बाद भी दिनेश शर्मा की पैठ ब्राह्मणों में उतनी नहीं दिखी। योगी पर ब्राह्मण विरोधी होने की बात को भी वो सही से जनता के बीच जाकर खारिज नहीं कर पाए, वहीं दूसरी ओर ब्रजेश पाठक तेज तर्रार नेता माने जाते रहे हैं। योगी के पहले कार्यकाल में मंत्री भी रहे हैं। माना जा रहा है कि दिनेश शर्मा जिन उम्मीदों को पूरा नहीं कर पाए थे, वो उम्मीदें ब्रजेश पाठक के तेज तर्रार होने और ब्राह्मण समाज के बीच पैठ होने से पूरी हो सकती है। शायद यही कारण है कि ब्रजेश पाठक को योगी कैबिनेट में जगह मिल गई और दिनेश पाठक योगी कैबिनेट से बाहर हो गए