नई दिल्ली. कांग्रेस पार्टी का पराभव सिर्फ लोकसभा ही नहीं, राज्यसभा में भी हो रहा है. अभी 31 मार्च को राज्यसभा की 13 सीटों के लिए चुनाव हुए. इनमें कांग्रेस सिर्फ 1 सीट जीत सकी. इसके बाद संसद के इस उच्च सदन में उसकी सीटें घटकर 30 (राज्यसभा की वेबसाइट पर 4 अप्रैल तक के अपडेट के अनुसार) रह गई हैं. कांग्रेस के अब तक के इतिहास में उच्च सदन में यह उसका सबसे कम आंकड़ा है. सिर्फ यही नहीं, अगले कुछ महीनों में राज्यसभा में वह और सिकुड़ सकती है. संभवत: इतनी कि वह इस सदन में सबसे बड़ी पार्टी भी न रहे और नेता प्रतिपक्ष का पद किसी अन्य दल के पास चला जाए. अगर ऐसा हुआ तो इतिहास में संभवत: पहली बार संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता पद खाली हो सकता है.
दरअसल, बीते गुरुवार को ही राज्य सभा के 72 सदस्यों का कार्यकाल पूरा हुआ है. इनमें से 62 सीटों पर जुलाई तक चुनाव होना है. ये सीटें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, बिहार, कर्नाटक, ओडिशा और मध्य प्रदेश की हैं. इन 62 में से 30 सीटें पिछली बार भारतीय जनता पार्टी ने जीती थीं. भाजपा को भरोसा है कि वह इतनी संख्या में दोबारा जीतकर आएगी. हालांकि 6 साल पहले के मुकाबले राजस्थान में अब कांग्रेस की सरकार है, भाजपा की नहीं. तो वहां से उसे कुछ नुकसान हो सकता है. लेकिन कांग्रेस के लिए भी सिर्फ राजस्थान से ही आस है. अन्य राज्यों में उसकी स्थिति उल्लेखनीय स्तर पर कमजोर हुई है.
पंजाब से 7 सीटें खाली हो रही हैं. ये अब तक कांग्रेस के पास थीं. लेकिन अब सभी पंजाब में नई-नई सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी को जा रही हैं. इनमें सभी 5 तो आप जीत भी चुकी है. बाकी 2 अन्य पर जुलाई में चुनाव होना है. पंजाब से कांग्रेस को 3 सीटों का नुकसान हो रहा है. उत्तर प्रदेश से भी जुलाई तक 11 सीटें खाली हो रही हैं. इनमें सबसे बड़ी तादाद भाजपा के पास जा रही है. क्योंकि लगातार दूसरी बार उसने राज्य में बड़े बहुमत से सरकार बनाई है. इसके बाद सपा का नंबर आएगा. कांग्रेस को यहां से 1 और बसपा को 2 सीटों का नुकसान होने वाला है. कांग्रेस को असम से 2 और हिमाचल प्रदेश से 1 सीट का नुकसान हुआ है. उत्तराखंड में भी भाजपा ने बड़े बहुमत के साथ वापसी की है. इसलिए वहां से भी कांग्रेस की 1 सीट जा रही है. यह भाजपा के खाते में जाना तय है. इस तरह जुलाई तक कांग्रेस राज्यसभा की 8-10 सीटें खो सकती है. यानी तब उसकी सीटें घटकर 20-22 के आसपास रह सकती हैं.
पहली बार संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता का पद खाली?
राज्यसभा के नियमों के मुताबिक सदन में विपक्ष के नेता का पद उसी पार्टी को मिलता है, जिसके पास सदन की कुल सदस्य संख्या के कम से कम 10% सदस्य हों. इस हिसाब से विपक्ष के नेता की दावेदारी के लिए कम से 24-25 सदस्य होने चाहिए. क्योंकि राज्यसभा की सदस्य संख्या 243 है. इस लिहाज से अगर कांग्रेस की सदस्य संख्या जुलाई तक 20-22 के आसपास सिमट गई तो देश के संसदीय इतिहास में संभवत: पहली बार दोनों सदनों में विपक्ष के नेता पद खाली हो जाएगा. लोकसभा की ही तरह जहां बीते 2 लोकसभा चुनाव से विपक्ष के नेता का पद खाली है. क्योंकि कांग्रेस (53 सदस्य) सहित कोई भी पार्टी लोकसभा की कुल संख्या के 10% (54-55 के करीब) के बराबर सदस्य जिताकर नहीं ला सकी है.