उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद राजनीतिक दलों ने शतरंज की बिसात पर मोहरों को नए सिरे से बैठाना शुरू कर दिया है। अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी, विपक्षी दल कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल में नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति होनी है। अब जानकारी मिल रही है कि मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी बदले जाएंगे। दरअसल, अखिलेश यादव खुद लोकसभा छोड़कर विधानसभा में विपक्ष के नेता बन गए हैं। दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी को इस चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है।
भारतीय जनता पार्टी में नाम हुआ लगभग फाइनल
यूपी में भाजपा, कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल में प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी खाली हैं। हालांकि, योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री बन जाने के बावजूद स्वतंत्रदेव सिंह ने अभी अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा नहीं दिया है, लेकिन वे तभी तक इस कुर्सी पर हैं, जब तक पार्टी नया नाम नहीं खोज लेती है। भारतीय जनता पार्टी से मिली जानकारी के मुताबिक नया प्रदेश अध्यक्ष लगभग तय कर लिया गया है। अगले कुछ दिनों में नाम की घोषणा कर दी जाएगी। भाजपा के एक बड़े नेता ने कहा, “योगी आदित्यनाथ की पिछली सरकार में काम कर चुके दो बड़े चेहरे प्रदेश अध्यक्ष बनने की दौड़ में शामिल हैं। दोनों नेताओं से शीर्ष नेतृत्व की दिल्ली में मुलाकात होने वाली है। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा हो जाएगी। इनमें से एक प्रदेश अध्यक्ष बनेगा और दूसरे को जुलाई में राज्यसभा भेज दिया जाएगा।” उन्होंने आगे कहा कि अभी उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार सेटल हो रही है। लिहाजा, पार्टी एकदम से दूसरी बड़ी गतिविधि पर काम शुरू करना नहीं चाहती है। हालांकि, नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने में ज्यादा देरी नहीं की जाएगी। क्योंकि संगठन 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गया है।
कांग्रेस को प्रदेश अध्यक्ष तलाशने में लगेगा वक्त
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम कांग्रेस के लिए बड़ा धक्का साबित हुए हैं। उत्तर प्रदेश में केवल 2 सीट पार्टी जीत पाई है। दूसरी तरफ पंजाब में सरकार से हाथ धोना पड़ा है। परिणाम आने के तुरंत बाद कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पांचों राज्यों के अध्यक्षों से इस्तीफा ले लिया था। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय सिंह लल्लू सबसे पहले इस्तीफा देने वालों में शामिल थे। लिहाजा, यूपी कांग्रेस इस वक्त नेतृत्व विहीन है। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस को सबसे पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष के मुद्दे पर फैसला लेना होगा। राहुल गांधी का इस्तीफा होने के बाद से सोनिया गांधी कार्यवाहक अध्यक्ष हैं। एक नियमित राष्ट्रीय अध्यक्ष की दरकार कांग्रेस को है। दूसरी तरफ राजनीतिक रूप से सबसे बड़े सूबे यूपी में फिलहाल कोई दमदार चेहरा नजर नहीं आ रहा है। कुल मिलाकर कांग्रेस को प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति करने के लिए लम्बी जद्दोजहद करनी पड़ सकती है।
किसी विधायक को मिलेगी रालोद की जिम्मेदारी
उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल के पास भी इस वक्त प्रदेश अध्यक्ष नहीं है। आपको बता दें कि चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद ने इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी पर टिकट वितरण में धांधली बरतने और पैसा लेने के गंभीर आरोप लगाए हैं। अब राष्ट्रीय लोकदल को भी नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति करनी है। मिली जानकारी के मुताबिक शामली जिले में बुढ़ाना विधानसभा सीट से विधायक राज्यपाल बालियान को यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। दरअसल, राजपाल बालियान लंबे अरसे से रालोद की राजनीति कर रहे हैं। वह यूपी विधानसभा में रालोद विधायक दल के नेता भी हैं। राष्ट्रीय लोकदल के एक नेता ने कहा, “हमारी पार्टी का जनाधार हमेशा से पश्चिम उत्तर प्रदेश में रहा है। मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़ और बरेली मंडलों पर पार्टी को सबसे ज्यादा काम करने की जरूरत है। अगर इन्हीं इलाकों पर बेहतर ढंग से काम कर लिया गया तो आने वाले लोकसभा चुनाव में अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। राजपाल बालियान इसके लिए सक्षम नेता हैं। उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाकर जयंत चौधरी अच्छे परिणाम हासिल कर सकते हैं।”
सपा और बसपा भी बदल सकते हैं प्रदेश अध्यक्ष
उत्तर प्रदेश विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी सपा का प्रदेश अध्यक्ष भी बदला जा सकता है। दरअसल, मौजूदा अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल लंबे अरसे से काम कर रहे हैं। इस चुनाव में नरेश उत्तम पटेल अपनी बिरादरी से कोई खास समर्थन समाजवादी पार्टी को दिलाने में नाकामयाब रहे। ऐसे में जातिगत समीकरणों को अखिलेश यादव नए सिरे से निर्धारित करेंगे। संभावना जताई जा रही है कि यादव, जाट और कुर्मी से इतर किसी ओबीसी बिरादरी में समाजवादी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की तलाश कर रही है। चुनाव परिणाम से आहत बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने प्रदेश अध्यक्ष को छोड़कर बाकी सभी सांगठनिक इकाइयां भंग कर दी हैं। बसपा में भी पूरे संगठन की ओवरहॉलिंग करने के लिए एक्सरसाइज चल रही है। मिली जानकारी के मुताबिक मायावती प्रदेश अध्यक्ष बदल सकती हैं। दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी को नए सिरे से तैयारियां करनी होंगी। पार्टी के अभी 10 लोकसभा सांसद हैं। जिस तरह का परिणाम विधानसभा चुनाव में आया है, उससे लोकसभा चुनाव के समीकरण बिगड़ते नजर आ रहे हैं। लिहाजा, मायावती दलित और अति पिछड़ों को एक बार फिर साधने का भरपूर प्रयास करेंगी। इन्हीं जातियों में से कोई चेहरा बसपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है।