जबलपुर. सात बार आएं, 11 वैक्सीन लगवाएं, 12 बीमारियों से बचाएं… बच्चों को विभिन्न बीमारियों से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी इस नारे के बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। बच्चों के माता-पिता व अभिभावकों में नियमित टीकाकरण को लेकर जागरूकता देखी जा रही है। डाक्टरों का कहना है कि बच्चों को बचपन की कई गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण जरूरी है। टीकाकरण बीमारियों से बचाव का सबसे प्रभावी और सुरक्षित तरीका है।
टीकाकरण से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। जिससे शिशुओं को बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने की शक्ति मिलती है। पोलियो, चेचक का उन्मूलन टीकाकरण के कारण हुआ है जो विकलांगता और शिशुओं की मृत्यु का कारण बनता था। एक बच्चे के पूर्ण टीकाकरण पर सरकार लगभग 50 हजार रुपये खर्च करती है। केंद्र की मोदी सरकार ने सभी महंगे टीकों को भी रूटीन टीकाकरण में शामिल कर लिया है। जो पहले केवल निजी स्वास्थ्य केंद्रों में ही उपलब्ध थे।
इन बीमारियों से होती है सुरक्षा
पोलियो, हेपेटाइटिस-बी पीलिया, गलघोंटू, तपेदिक, काली खांसी, टिटनेस, हिब मस्तिष्क ज्वर, गंभीर जानलेवा दस्त, गंभीर जानलेवा निमोनिया, खसरा, रुबेला।
टीकाकरण का समय
जन्म के समय- बीसीजी, पोलियो, हेपटाइटिस बी।
जन्म के छह सप्ताह बाद- डीपीटी, पोलियो, हेपेटाइटिस बी।
10 सप्ताह बाद- डीपीटी, पोलियो, हेपेटाइटिस बी।
14 सप्ताह बाद- डीपीटी, पोलियो, हेपेटाइटिस बी।
नौ माह बाद- खसरा, पीलिया, गलसुआ मम्प और हल्का खसरे के टीके।
कुष्ठ रोग तथा टीबी के कुछ रूपों से बीसीजी का टीका सुरक्षा प्रदान करता है। डीपीटी का टीका डिप्थीरिया, कुकर खांसी और टिटनेस से सुरक्षा देता है।
- एमएमआर- खसरा, गलसुआ, रुबेला।
- पीसीवी- नीमोकाक्कल कंज्यूगेट वैक्सीन।
- आरवीवी- रोटावायरस वैक्सीन।
- टीका- बचाव किए जाने वाले रोग
- पोलिया- पोलियो
- बीसीजी- बचपन का क्षय रोग
- हेपटाइटिस बी- पीलिया
- रोटा- रोटावायरस दस्त
- एफआइपीवी- पोलियो
- पीसीवी- निमोनिया
- पेंटावेलेंट- गलघोंटू, काली खांसी, टिटनेस, हिब संक्रमण, पीलिया
- जेई- दिमागी बुखार
- एमआर- खसरा, रुबेला
- डीपीटी- काली खांसी, गलघोंटू, टिटनेस
- टीडी- टिटनेस, गलघोंटू।