नई दिल्ली. भारत में कुपोषण एक गंभीर समस्या है. 113 देशों के ग्लोबल फूड सिक्योरिटी इंडेक्स में भारत का नंबर 2021 में 71वां था. खाद्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में औसतन हर दूसरी महिला में खून की कमी है और हर तीसरा बच्चा कमजोर है. कुपोषण की इसी स्थिति को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने एक महत्वाकांक्षी अभियान शुरू किया है, जिसके तहत मिड डे मील और राशन आदि में फोर्टिफाइड राइस को बढ़ावा दिया जा रहा है. ये फोर्टिफाइड राइस क्या होता है, कैसे तैयार होता है और इसके क्या फायदे हैं, आइए बताते हैं.

फोर्टिफाइड चावल होता क्या है?
फोर्टिफाइड चावल का मतलब है, पोषकयुक्त चावल. इसमें आम चावल की तुलना में आयरन, विटामिन बी-12, फॉलिक एसिड ज्यादा होता है. इसके अलावा जिंक, विटामिन ए, विटामिन बी वाले फोर्टिफाइड चावल भी तैयार किए जाते हैं. इन्हें आम चावलों में मिलाकर खाया जाता है. ये देखने में बिल्कुल आम चावलों जैसे ही लगते हैं. इनका स्वाद भी बेहतर बताया जाता है. फूड सेफ्टी रेग्युलेटर FSSAI के मुताबिक, इन्हें खाने से भोजन में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है.

इसे तैयार कैसे किया जाता है?
फोर्टिफाइड चावलों को मिलों में बनाया जाता है. इस दौरान इनमें सूक्ष्म पोषक तत्वों, विटामिन और खनिजों की मात्रा को कृत्रिम तरीके से बढ़ाया जाता है. इसके लिए कोटिंग, डस्टिंग और एक्सट्रूजन (उत्सारण) जैसी तकनीक अमल में लाई जाती हैं. पहले सूखे चावल को पीसकर आटा बनाया जाता है. फिर उसमें सूक्ष्म पोषक तत्व मिलाए जाते हैं. पानी के साथ इन्हें अच्छे से मिक्स किया जाता है. फिर मशीनों की मदद से सुखाकर इस मिक्स्चर को चावल का आकार दिया जाता है, जिसे फोर्टिफाइड राइस कर्नेल कहा जाता है. तैयार होने के बाद इन्हें आम चावलों में मिला दिया जाता है. FSSAI के नियम कहते हैं कि इसे 1:100 के अनुपात में मिलाया जाता है, मतलब 1 किलो चावल में 10 ग्राम फोर्टिफाइड राइस मिलाए जाते हैं.

इसे खाने से क्या फायदा होता है?
फोर्टिफाइड चावल में पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक किलो फोर्टिफाइड चावल में आयरन (28 से 42.5 मिलीग्राम), फॉलिक एसिड (75 से 125 माइक्रोग्राम), विटामिन बी12 (0.75 से 1.25 माइक्रोग्राम) होता है. इसके अलावा FSSAI ने जिंक (10 से 15 मिलीग्राम), विटामिन ए (500-700 माइक्रोग्राम), विटामिन बी1 (1-1.5 एमजी). विटामिन बी2 (1.25-1.75 एमजी), विटामिन बी3 (12.3-20 एमजी) और विटामिन बी6 (1.5-2.5 एमजी) से भी चावलों को फोर्टिफाइड करने की गाइडलाइंस जारी की हैं. एक बार तैयार होने के बाद इसे 12 महीने तक खाया जा सकता है.

आम चावल और फोर्टिफाइड में फर्क कैसे करें?
खाद्य मंत्रालय का मिलों को निर्देश है कि फोर्टिफाइड चावलों की लंबाई 5 मिलीमीटर और चौड़ाई 2.2 मिलीमीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. ऐसे में ये दिखने में आम चावल जैसे ही लगते हैं. हालांकि सरकार ने इन चावलों की अलग से पहचान का भी इंतजाम किया है. इनके पैकिट पर +F का लोगो बना रहता है और लिखा भी रहता कि इसे फोर्टिफाइड किया गया है. फोर्टिफाइड चावलों को पकाने के लिए भी कोई अलग तरीका नहीं अपनाना पड़ता. आम चावलों की तरह इन्हें धोकर उबालकर पकाकर खाया जा सकता है.

इसे तैयार करने में कितना खर्च आता है?
पिछले साल पीएम मोदी ने जब स्वतंत्रता दिवस पर इसका ऐलान किया था, तब लगभग 2700 मिलों में फोर्टिफाइड चावलों के मिक्सिंग प्लांट लगाए जा चुके थे. मंत्रालय के मुताबिक, 14 प्रमुख राज्यों में 13.67 लाख टन क्षमता से पैदावार हो रही है. फोर्टिफाइड चावल बनाने के लिए मिलों में कुछ तब्दीलियां करनी पड़ती हैं. मिक्सिंग प्लांट लगाने पड़ते हैं. मंत्रालय का अनुमान है कि 4 से 5 टन प्रति घंटे की क्षमता वाले प्लांट के लिए 15 से 20 लाख रुपये का खर्चा आता है. एक किलो फोर्टिफाइड चावल बनाने में औसतन 60 पैसे का खर्च बैठता है