टीवी डिबेट में गुस्‍सा-गर्मी नई बात नहीं है। अपना पक्ष साबित करने के लिए गेस्‍ट अक्‍सर भड़क ही जाते हैं। इस दौरान कभी-कभी कुछ ऐसा भी हो जाता है जिसकी अपेक्षा भी नहीं की जाती है। हमारे सहयोगी चैनल ‘टाइम्‍स नाउ नवभारत’ पर भी डिबेट के दौरान कुछ ऐसा ही हो गया। इस दौरान हिंदू धर्मगुरु आचार्य विक्रमादित्‍य को शांत कराने के लिए मुस्लिम स्‍कॉलर प्रोफेसर अतीक-उर-रहमान ने ‘ओम नम: शिवाय’ जपना शुरू कर दिया।

ऐसा करके उन्‍होंने हिंदू धर्मगुरु को याद दिलाने की कोशिश की कि उन पर गुस्‍सा शोभा नहीं देता है। वह दूसरों की बात को भी तवज्‍जो दें।

आचार्य विक्रमादित्‍य और इस्‍लामिक स्‍कॉलर प्रोफेसर अतीक-उर-रहमान डिबेट में हिस्‍सा लेने पहुंचे थे। करौली हिंसा के बाद रामनवमी पर राजस्‍थान के कई जिलों में धारा 144 लगाने पर चर्चा हो रही थी। यह सवाल भी उठाया जा रहा था कि दंगाइयों पर सख्‍ती न करने के बजाय कई जगहों पर शोभायात्रा पर रोक लगाने का कदम कितना सही है।

अपना पक्ष रखते हुए आचार्य विक्रमादित्‍य बोले कि राज्‍य में ऐसे कई इलाके हैं जिन्‍हें ‘मिनी पाकिस्‍तान’ बना दिया गया है। कोई वहां जा तक नहीं सकता है।

इस बीच अतीक-उर-रहमान ने कहा कि आजादी को 70 साल से ज्‍यादा हो गए। इसमें करीब 50 साल कांग्रेस की सरकार रही। लेकिन, हिंदू कभी खतरे में नहीं रहा। 50 साल औरंगजेब की हुकूमत रही हिंदू खतरे में नहीं आया। 1000 साल में से 300 साल मुस्लिम रूल रहा हिंदू खतरे में कभी नहीं आया। उन्‍होंने विक्रमादित्‍य से सवाल किया कि बीजेपी के आठ साल के कार्यकाल में हिंदू कैसे खतरे में आ गया। ये विक्टिम कार्ड कौन खेल रहा है।

इस पर विक्रमादित्‍य ने हस्‍तक्षेप करते हुए कहा कि अतीक-उर-रहमान शायद नेहरू की हिस्‍ट्री पढ़कर आए हैं। औरंगजेब ने देश में क्‍या हाल किया था, उन्‍हें पता नहीं है। क्‍या वह हिस्‍ट्री बदलकर बता रहे हैं। विक्रमादित्‍य बोले, ‘आपने हिस्‍ट्री के अंदर इतना आतंक मचाया है। जीना मुश्किल कर दिया है।’

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जवाब में अतीक-उर-रहमान बोले कि आखिर विक्रमादित्‍य इतना बेचैन क्‍यों हो रहे हैं। उन्‍हें इतना बेचैन होना शोभा नहीं देता है। वह शांत हो जाएं। उन्‍हें तीन-चार बार ओम नम: शिवाय पढ़ लेना चाहिए। वह शांति से बैठें और दंगाई नहीं बनें। इस बीच आचार्य लगातार बीच में बोल रहे थे। इसके बाद प्रो अतीक-उर-रहमान ओम नम: शिवाय का जाप कर विक्रमादित्‍य को शांत हो जाने के लिए कहने लगे। उन्‍होंने कहा कि वो आतंक नहीं फैलाएं। देश में संविधान मौजूद है।

इसके जवाब में आचार्य विक्रमादित्‍य बोले कि आतंक तो उन्‍होंने फैला रखा है। इस विश्‍व में मुल्‍ला का पर्याय ही आतंकवाद हो गया है। बिना मूंछ दाढ़ी वाले आतंकी का एक्रोनिम बन गए हैं। आतंकवादी तो आप ही बैठे हैं।