यूपी में विधानसभा चुनाव के बाद अब एमएलसी चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। राष्ट्रीय लोकदल (RLD) की अब आगे की राह आसान नहीं है। विधानसभा चुनाव में भले ही RLD ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की हों, लेकिन MLC चुनाव में सपा के साथ गठबंधन से चुनाव लड़कर RLD को करारी हार का सामना करना पड़ा।

मेरठ, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर-बुलंदशहर की सीट गठबंधन में RLD को मिली थी। बुलंदशहर सीट पर प्रत्याशी नामांकन भरते ही पर्चा वापस लेकर भाजपा में शामिल हो गईं। मेरठ की सीट पर रालोद नेता सुनील रोहटा की करारी हार हुई। नए संगठन बनाने के लिए पार्टी मुखिया 2024 की सियासी जमीन तैयार रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि आगे की राह अब आसान नहीं है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह का 6 मई 2021 को कोरोना से निधन हो गया था। अजित सिंह के निधन के बाद उनके पुत्र चौधरी जयंत पर पार्टी की कमान है। इस समय जयंत चौधरी RLD के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। किसान आंदोलन के बाद वह पार्टी को धार देने में लगे रहे। पार्टी को मजबूत करने में वह खुद विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़े।

जयंत चौधरी की पत्नी चारु चौधरी भी चुनाव नहीं लड़ी। विधानसभा चुनाव में RLD मुखिया जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से गठबंधन कर लिया। पहले तो सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान हुई। यही कारण रहा कि पार्टी के कई नेता इस खींचतान में जयंत चौधरी से छिटक कर भाजपा में शामिल हो गए।

2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाट और मुस्लिमों के बीच नफरत की खाई खुद गई। हुआ यह कि राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया से जाट छिटक कर भाजपा की तरफ बढ़ चले। मोदी लहर में चौधरी अजित सिंह 2014 में बागपत से लोकसभा चुनाव हार गए, यहां से भाजपा के सत्यपाल सिंह ने जीत दर्ज की थी। उसके बाद अजित सिंह कोशिश करते रहे कि जाट और मुस्लिम फिर से एक साथ आ जाएं।

2019 में जयंत चौधरी बागपत लोकसभा सीट पर भाजपा के सत्यपाल सिंह से हार गए और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह खुद मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर भाजपा के संजीव बालियान से हार गए। जाट और मुस्लिमों में गठजोड़ हुआ, लेकिन लोकसभा चुनाव में काम नहीं आया। मुस्लिमों के सहारे जयंत चौधरी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव से गठबंधन कर लिया। 33 सीटों पर RLD चुनाव लड़ी और सिर्फ 8 विधायक ही जीत पाए।

रालोद मुखिया चौधरी जयंत ने विधानसभा चुनाव के बाद 14 मार्च को प्रदेश के सभी फ्रंटल संगठन भंग कर दिए
रालोद मुखिया चौधरी जयंत ने विधानसभा चुनाव के बाद 14 मार्च को प्रदेश के सभी फ्रंटल संगठन भंग कर दिए
20 अप्रैल के बाद जयंत करेंगे समीक्षा बैठक

विधानसभा चुनाव पूरा होने के बाद एमएलसी चुनाव में मेरठ की सीट पर RLD की करारी हार हुई है। ऐसे में सामने आ रहा है कि पार्टी नेताओं के बीच अंदर की कलह भी रही है। विधानसभा चुनाव में कई नेताओं को टिकट नहीं मिले, इसका खामियाजा पार्टी को हार से भुगतना पड़ा।

एमएलसी चुनाव से पहले RLD ने यूपी में अपने सभी फ्रंटल संगठन भंग कर दिए थे और नए संगठन गठित करने को लेकर अभी पार्टी जमीनी नेताओं को तलाश रही है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि 20 अप्रैल के बाद जयंत चौधरी समीक्षा बैठक करेंगे। इसके बाद जिलाध्यक्ष, क्षेत्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

रालोद मुखिया चौधरी जयंत ने विधानसभा चुनाव के बाद 14 मार्च को प्रदेश के सभी संगठन भंग कर दिए। संगठन भंग होने के बाद 19 मार्च को प्रदेश अध्यक्ष रहे मसूद अहमद ने जयंत और अखिलेश यादव के खिलाफ बगावती तेवर दिखाए। कहा कि पैसे लेकर टिकट दिए गए। इसके बाद मसूद अहमद ने इस्तीफा भी दिया। एक माह में अभी तक जयंत को जमीनी नेता नही मिल सके।