गुरुवार को अंतरिक्ष में ऐसी घटना होने वाली है, जिसका असर पृथ्वी पर पकड़ सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक 14 अप्रैल यानी आज सूरज से निकाल भू-चुंबकीय तूफान धरती से टकराने वाले है, जिसकी वजह से पृत्वी के कुछ हिस्सों में रेडियो ब्लैकआउट हो सकता है. वैज्ञानिकों के अनुसार, सूर्य पर हलचल तेज हो गई है, लिहाजा ऐसी संभावना जताई जा रही है कि यह तूफान घातक साबित हो सकता है. इस संदर्भ में दुनियाभर की तमाम एजेंसियों को सतर्क कर दिया गया है.

खतरनाक भू-चुंबकीय तूफान धरती की तरफ 16,13520 किलोमीटर प्रति घंटे की चौंका देने वाली रफ्तार से बढ़ रहा है. इसे लेकर पिछले कई दिनों से दुनियाभर के अंतरिक्ष वैज्ञानिक आपस में विचार-विमर्श कर रहे हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक, महीनों से सुसुप्त पड़ा हुआ डेड सनस्पॉट –AR2987 फिर से जागृत हो उठा है. यह बॉल की आकृति का है और इसके सक्रिय हो जाने से धरती की ओर भारी मात्रा में रेडिएशन आ रहे हैं, जो कि पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर में भारी गड़बड़ी पैदा कर सकता है.

इन हिस्सों पर पड़ सकता है असर
एक रिपोर्ट के अनुसार, इस तूफान का असर 15 अप्रैल तक भी रह सकता है. नासा ने पहले ही भविष्यवाणी की थी कि एक मामूली भू-चुंबकीय तूफान धरती के वातावरण से टकरा सकता है, जो कमजोर बिजली ग्रिड को नुकसान पहुंचा सकते हैं. स्पेस वेदर डॉट कॉम के अनुसार, सूर्य के रेडिएशन तूफान की वजह से नॉर्थ पोल के वायुमंडल के ऊपरी हिस्से में ज्यादा नॉर्दन लाइट का निर्माण होगा जिसका पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव इलाके में स्थित सैटेलाइट और पावर ग्रिड पर प्रभाव पड़ सकता है. इसकी वजह से इन इलाकों में अंधेरा छा जाने का खतरा है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि यह तूफान बुधवार को मर्करी ग्रह से टकराया था और इसके बाद पृत्वी की तरफ आगे बढ़ रहा है. सूर्य पर नज़र रखने वाले खगोलविदों का मानना ​​है कि सूर्य के दूर की ओर तीव्र चुंबकत्व का एक बड़ा क्षेत्र है, शायद एक जटिल सनस्पॉट समूह है. यह अब से एक हफ्ते से भी कम समय में सूर्य के पूर्वी हिस्से में घूमेगा.

वैज्ञानिकों के मुताबिक, सूरज की सतह पर भारी मात्रा में विस्फोट होते हैं. इस दौरान बेहद चमकीले प्रकाश के साथ भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है जिसे फ्लेयर कहते हैं. यह कई मिलियन मील प्रति घंटे की रफ्तार से एक अरब टन के बराबर चुंबकीय ऊर्जा होती है, जिससे सूर्य की बाहरी सतह का कुछ क्षेत्र खुल जाता है और इसी छिद्र से ऊर्जा निकलने लगती है और यह आग के गोले की तरह नजर आती है. अगर यही ऊर्जा लगातार कई दिनों तक निकलती रहती है, तो इससे बहुत छोटे न्यूक्लियर कण भी निकलने लगते हैं जो ब्रह्मांड में फैल जाते हैं, जिसे भू-चुंबकीय तूफान का नाम दिया गया है.