नई दिल्ली. लोग अपनी आजीविका चलाने के लिए और अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए काम करते हैं, ताकि वो पैसे कमा सकें। लोगों को कई अलग-अलग कामों के लिए भी जरूरतें होती हैं। जैसे- किसी को घर खरीदने के लिए, किसी को शादी करने के लिए, किसी को खुद की पढ़ाई के लिए या किसी को बच्चों की पढ़ाई के लिए आदि कामों के लिए पैसों की जरूरत पड़ती है। लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि लोगों की जरूरतें उनकी कमाई में पूरी नहीं हो पाती है।
ऐसे में कई बड़े कामों के लिए लोगों को लोन लेना पड़ता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर किसी लोन लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाए, तो उसके लोन या क्रेडिट कार्ड की देनदारी का क्या होगा? शायद नहीं, लेकिन कोरोना काल में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें लोगों की मौत के बाद उनकी देनदारियां पीछे छूट गई। तो चलिए आपको बताते हैं कि ऐसी स्थिति में आखिर होता क्या है।
पर्सनल लोन
- सबसे पहले बात कर लेते हैं पर्सनल लोन की। दरअसल, इस पर्सनल लोन को सुरक्षित लोन नहीं माना जाता है। ऐसे में ये लोन अनसिक्योर्ड लोन की कैटेगरी में आते हैं। इसलिए अगर पर्सनल लोन लेने वाले ग्राहक की मृत्यु हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में बैंक किसी दूसरे व्यक्ति, उत्तराधिकारी और कानूनी वारिस से पैसे नहीं ले सकता है। साथ ही बैंक उन्हें लोन चुकाने के लिए मजबूर भी नहीं कर सकता है।
क्रेडिट कार्ड
- बात अगर क्रेडिट कार्ड की करें, तो ये भी अनसिक्योर्ड लोन की कैटेगरी में आते हैं यानी ये भी सुरक्षित लोन नहीं होते हैं। अगर किसी क्रेडिट कार्ड ग्राहक की बिना बिल भरे मृत्यु हो जाए, तो बैंक उसके उत्तराधिकारी, कानूनी वारिस और किसी दूसरे व्यक्ति से बची हुई देनदारी नहीं ले सकता है।
होता क्या है इन लोन का?
जिस तरह से हमने आपको ऊपर बताया कि पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड सुरक्षित लोन नहीं होते हैं। ऐसे में इनको लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद इन लोन को राइट ऑफ कर दिया जाता है यानी इन्हें बट्टा खाते में डाल दिया जाता है।
होम लोन
- होम लोन एक तरह का सुरक्षित लोन होता है, और इसकी अवधि लंबी होती है। इसमें लोन लेने वाले व्यक्ति के अलावा को-एप्लिकेंट का भी प्रावधान होता है। अगर लोन लेने वाले ग्राहक की किसी कारण से मृत्यु हो जाती है, तो फिर बैंक को-एप्लिकेंट से देनदारी लेता है। इसके अलावा कई मामलों में लोन लेते समय ही इंश्योरेंस कर दिया जाता है, और ग्राहक की मृत्यु होने पार बैंक इंश्योरेंस से पैसे ले लेता है।
यही नहीं, ग्राहक की मृत्यु होने पर बैंक संपत्ति बेचकर भी लोन का भुगतान लेता है। अगर ऐसा भी न हो, तो फिर सरफेसी एक्ट के तहत लोन के बदले बैंक ग्राहक की संपत्ति को नीलाम करके अपनी बकाया राशि लेता है।
ऑटो लोन
- अगर आप किसी तरह का ऑटो लोन यानी कार और बाइक आदि का लोन ले रहे हैं, और लोन लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। तो ऐसी स्थिति में बैंक उनके परिवार वालों से बकाया चुकाने को कहता है। अगर ऐसा नहीं होता है, तो फिर बैंक गाड़ी को ले जाकर इसकी नीलामी करके अपने बचे हुए पैसा वापस लेता है।