नई दिल्ली। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कारिडोर पर रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) का उपयोग करने वाले यात्रियों के लिए एनसीआर परिवहन निगम अंतिम छोर तक परिवहन सुविधा मुहैया कराएगा। इसके लिए निगम ने स्टेशनों पर विभिन्न फीडर मोड प्रदान करने के लिए सेवा प्रदाताओं से प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं।

दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ 82 किलोमीटर लंबा आरआरटीएस कारिडोर है जिसमें लगभग पांच से छह किमी के अंतराल पर 25 स्टेशन हैं, जहां ट्रेनें 5-10 मिनट की आवृत्ति चलेंगी। साहिबाबाद और दुहाई के बीच 17 किलोमीटर लंबे प्राथमिकता वाले खंड, जिसमें पांच स्टेशन हैं, 2023 तक चालू हो जाएगा। इसी कड़़ी में यात्रियों के लिए अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी के लिए विभिन्न विकल्पों की तलाश शुरू कर दी गई है।

एनसीआरटीसी के मुताबिक 500 मीटर क्षेत्र तक की दूरी चलने योग्य होती है और एक किमी तक की दूरी साइकिलिंग क्षेत्र में आती है। लेकिन तीन किमी तक की दूरी के लिए ई-रिक्शा, बाइक टैक्सी या स्कूटर की सेवाओं की आवश्यकता होती है, जबकि तीन किमी से अधिक की दूरी को ऑटो-रिक्शा, टैक्सी / कैब और शटल बस का क्षेत्र माना जाता है।

एनसीआरटीसी ने विचार-विमर्श के बाद परिवहन के इन विभिन्न साधनों के बड़े पैमाने पर प्रदाताओं को आमंत्रित किया है। हालांकि अन्य एजेंसियों की मदद भी लेगा, जहां इसे कार्रवाई में लाने के लिए आवश्यक होगा।

एनसीआरटीसी का कहना है कि अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी की अनुपलब्धता के कारण लोग अक्सर सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने से हिचकिचाते हैं। इसके अलावा, आटो और ई-रिक्शा के लिए किसी भी व्यवस्थित प्रणाली की कमी के कारण स्टेशनों के आसपास भीड़भाड़ न केवल अराजकता और ट्रैफिक जाम पैदा करती है, बल्कि आवागमन के समय में भी वृद्धि करती है।