अहमदाबाद: गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्टिक पटेल ने 18 मई को देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी से इस्तीफा दे दिया. ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह आगामी दिनों में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं. उनके आम आदमी पार्टी में भी शामिल होने की कयासबाजी चल रही है. हार्दिक पटेल भाजपा जॉइन करें या न करें, एक बात तो तय है कि उनके कांग्रेस छोड़ने से आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी दल को फायदा पहुंचेगा.

गुजरात की आबादी में पटेल या पाटीदार समुदाय की हिस्सेदारी करीब 14% है, जो 1995 से हर चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रति अपना समर्थन जताते आ रहे हैं. साल 1995 से पहले तक यह समुदाय कांग्रेस का कोर वोटर हुआ करता था, लेकिन 1985 में तत्कालीन मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी या ‘खाम’ सोशल इंजीनियरिंग फॉर्म्युला लेकर आए, जिसने पटेल समुदाय को कांग्रेस से दूर कर दिया. KHAM का मतलब क्षत्रीय, हरिजन (अब​ जिन्हें दलित कहा जाता है), आदिवासी और मुस्लिम.

पटेल आरक्षण आंदोलन के अगुवा थे हार्दिक पटेल
पटेल कांग्रेस से भाजपा की ओर शिफ्ट हुए और 1995 में केशूभाई पटेल के रूप में उन्हें अपने समुदाय का मुख्यमंत्री मिला. अगर बीच के कुछ महीने छोड़ दें तो भाजपा 1995 से लेकर आज तक गुजरात की सत्ता में लगातार काबिज होती आ रही है. साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिली थी. इसके पीछे का मुख्य कारण था साल 2015 का पटेल आरक्षण आंदोलन, जिसका नेतृत्व हार्दिक पटेल कर रहे थे. सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की मांग को लेकर पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के बैनर तले यह प्रदर्शन हुआ था.

आंदोलन ने भाजपा को पहुंचाया था काफी नुकसान
तब हार्टिक पटेल की उम्र सिर्फ 22 वर्ष थी और वह राज्य के पाटीदार समुदाय की एकता और युवाओं की आंकाक्षाओं के ध्वजवाहक बन चुके थे. इस आंदोलन ने 2017 में भाजपा को काफी क्षति पहुंचाई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह, जो उस समय भाजपा अध्यक्ष थे, खुद गुजरात से आते हैं, इसके बावजूद 182 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा सिर्फ 99 सीटें जीत सकी थी, जो बहुमत के आंकड़े 92 से सिर्फ 7 ​सीटें ज्यादा थीं. साल 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा 115 सीटें जीतने में कामयाब रही थी.

पाटीदार वोट बैंक का बड़ा हिस्सा BJP से छिटका था
इस चुनाव में पाटीदार वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा भाजपा से छिटक गया था. पादीदार नेता हार्दिक पटेल, ओबीसी नेता अल्पेश ठाकुर और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने गुजरात के युवाओं को अपनी ओर आकर्षित किया था. अल्पेल ठाकुर ने राधापुर सीट से कांग्रेस के टिकट पर 2017 का चुनाव लड़ा था, फिर 2019 में वह भाजपा में शामिल हो गए. वहीं, वडगाम सुरक्षित सीट से जिग्नेश मेवाणी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी. उन्होंने घोषणा की है कि वह इस साल के अंत में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल होंगे.

​ हार्दिक पटेल ने 2017 में किया था कांग्रेस का समर्थन
जहां तक हार्दिक पटेल की बात है, साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव के वक्त उनकी उम्र 25 वर्ष नहीं हुई थी, इसलिए वह खुद चुनाव नहीं लड़ सके थे. लेकिन उन्होंने कांग्रेस का समर्थन किया था. उन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च में कांग्रेस पार्टी जॉइन की थी और उन्हें गुजरात का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था. हालांकि, उन्होंने गुजरात कांग्रेस का फुल टर्म प्रेसिडेंट नहीं बनाए जाने से नाराज होकर 18 मई को पार्टी से त्यागपत्र दे दिया. कांग्रेस से उनका इस्तीफा, आगामी गुजरात चुनाव में भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकता है, जिसके वह अतीत में तीखे आलोचक रहे हैं. अगर वह आम आदमी पार्टी में शामिल होते हैं, या निर्दलीय रहते हैं, तब भी उनके भाजपा विरोधी वोट काटने की संभावना ज्यादा है, जो कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगा.