मुंबई. महाराष्ट्र ने विधवा महिलाओं को लेकर एक बेहतरीन पहल की है। राज्य के ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से सभी ग्रामसभाओं के लिए आदेश निकाला गया है कि विधवा होने पर महिलाओं के साथ निभाई जाने वाली अमानवीय रस्मों पर रोक लगाई जाए।

हाल ही में कोल्हापुर में आने वाली हेरवाड़ ग्राम पंचायत में विधवा महिलाओं के साथ होने वाली ऐसी रस्मों पर बैन लगा है। ग्रामीण विकास मंत्री हसन मुश्रीफ ने अपने आदेश में कहा है- ‘कोल्हापुर में हेरवाड़ ग्राम पंचायत ने इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित करके विधवा प्रथा की रस्मों पर प्रतिबंध लगा दिया है’ अब राज्य की बाकी ग्राम पंचायतों को उससे प्रेरणा लेते हुए आगे आना चाहिए।’

कोल्हापुर जिले के शिरोल तालुका में हेरवाड़ ग्राम पंचायत ने विधवा के मंगलसूत्र, पैर की अंगूठी (बिछिया) हटाने, सिंदूर को पोंछने, चूड़ी तोड़ने जैसे रिवाजों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित किया। ये प्रस्ताव 5 मई को लाया गया था। हेरवाड़ ग्राम पंचायत में ग्राम विकास अधिकारी पल्लवी कोलेकर और सरपंच सुरगोंडा पाटिल की पहल पर ग्राम सभा ने इस प्रस्ताव का स्वीकार किया।

भारत में पति के मरने के बाद महिला का अघोषित सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाता है। उनके किसी भी सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रम में जाने पर रोक लगा दी जाती है। उनके रहन-सहन और खान-पान पर भी कई तरह की पाबंदी लगा दी जाती है। मंत्री के आदेश में कहा गया है कि ये प्रथाएं ह्यूमन राइट्स का उल्लंघन करती हैं।

उत्तर प्रदेश के वृंदावन को विधवाओं का शहर भी कहा जाता है। यहां अलग-अलग जगहों से आकर विधवाएं रहती हैं। अलग-अलग राज्यों में सरकारें इनको भरण-पोषण के लिए 300-500 रुपए तक विधवा पेंशन देती हैं। देश में करीब साढ़े चार करोड़ विधवाएं हैं। महाराष्ट्र में तो पॉजिटिव मैसेज देने वाला आदेश आ गया है, लेकिन दुनिया भर में विधवा महिलाओं की हालत काफी खराब है।

अफ्रीका के कई देशों में विधवाओं की शुद्धि के लिए अजीब प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसमें विधवाओं को अपने पति की लाश के पैर धोकर पानी पीना पड़ता है। विधवाओं को अपने ससुराल में किसी संबंधी के साथ या किसी अजनबी के साथ संबंध बनाने पड़ते हैं। इसके बाद ही इन्हें शुद्ध माना जाता है। इन महिलाओं के अंदर से इनके पति की आत्मा को निकालने के लिए भी तंत्र-मंत्र और अमानवीय प्रक्रियाओं का सहारा लेना पड़ता है।

भारत, बांग्लादेश, बोत्सावाना, अंगोला, आईवरी कोस्ट, घाना, केन्या, नाइजीरिया, तंजानिया, जिम्बॉब्वे जैसे कई देशों में पति की मौत के बाद विधवाओं की संपत्ति को जब्त करने का भी रिवाज है। इस दौरान विधवाओं को घर से बाहर कर दिया जाता है। उनकी संपत्ति को उनके ससुराल पक्ष के लोग अपने अधिकार में ले लेते हैं।

लूम्बा फाउंडेशन की 2017 में आई ‘वर्ल्ड विडोज रिपोर्ट’ के अनुसार दुनिया भर में करीब 25 करोड़ विधवाएं हैं। इनमें से हर सातवीं विधवा काफी गरीबी की हालत में में रह रही हैं। दुनिया की एक तिहाई विधवाओं की आबादी भारत और चीन में है। चीन औरत भारत दोनों में करीब साढ़े चार करोड़ विधवा महिलाएं हैं। 2020 से 2015 के बीच पति की बीमारी या युद्ध की वजह से होने वाली मौत से विधवाओं की आबादी में 9 फीसदी का इजाफा हुआ। इस दौरान दुनिया में सबसे तेज 24 फीसदी की दर से मिडिल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका में विधवाओं की आबादी बढ़ी।

इस दौरान 17 विकसित और विकासशील देशों की विधवाओं की स्थिति पर अध्ययन किया। इसमें इंडोनेशिया, यूक्रेन, रूस, अर्जेंटीना, फ्रांस, अमेरिका, अजरबैजान में विधवाओं की हालत सबसे खराब है। इनके मुकाबले भारत में विधवाओं की स्थिति बेहतर थी। विधवाओं के साथ सबसे अच्छे सलूक के मामले में तुर्की, साउथ कोरिया, नाइजीरिया, मिस्र और मेक्सिको का नाम है।