मेरठ. उत्तर प्रदेश के मेरठ में केंद्रीय मत्स्य पालन पशुपालन और डेयरी राज्यमंत्री डॉक्टर संजीव कुमार बालियान ने कहा कि अब किसान पशुपालकों को अपने बीमार पशुओं को लेकर अस्पताल नहीं जाना पड़ेगा, क्योंकि भारत सरकार ने किसानों के द्वार पहुंचकर पशुओं का इलाज करने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था कर दी है। पूरे भारत के लिए 4500 एंबुलेंस खरीदी गई हैं। इनमें से 450 एंबुलेंस उत्तर प्रदेश को मिली हैं।

उत्तर प्रदेश में अगले महीने से सभी एंबुलेंस ब्लॉक स्तर पर दौड़ती दिखाई देंगी। प्रत्येक एंबुलेंस में एक पशु चिकित्सक, एक फार्मेसिस्ट, एक सहायक, एक चालक तैनात रहेगा। पशुओं को बीमारी में दी जाने वाली दवाइयां भी उपलब्ध रहेंगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान हित में यह बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय राज्य मंत्री ने रविवार को यह बात सुभारती विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में हरित प्रदेश दुग्ध उत्पादक कंपनी द्वारा आयोजित कार्यक्रम के उद्घाटन के बाद मीडिया से वार्ता में कहीं।

उन्होंने कहा कि इस योजना को भारत सरकार और प्रदेश सरकार मिलकर चलाएंगे। सभी एंबुलेंस की निगरानी के लिए जीपीएस लगाया जाएगा। आगे एंबुलेंस के संचालन कर्मचारियों के वेतन आदि पर खर्च होने वाली धनराशि में 60% केंद्र सरकार और 40% राज्य सरकार वहन करेगी।

उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार की तरफ से कोऑपरेटिव को खड़ा किया जा रहा है। इसके लिए जायका के नाम से एक लोन योजना शुरू हुई है, जिसमें भारत सरकार को 16 सौ करोड़ रुपए का बजट मिला है। इसमें जापान का बड़ा सहयोग प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि इस योजना को उत्तर प्रदेश और बिहार में चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड हरित प्रदेश दुग्ध उत्पादक कंपनी जैसी संस्थाओं को आगे बढ़ा रहा है, ताकि किसानों को दुग्ध उत्पादन में अधिक से अधिक लाभ दिलाया जा सके।

उन्होंने पराग का नाम लेते हुए कहा कि हमारे उत्तर प्रदेश में पराग की शुरुआत की गई थी लेकिन अब वह ठीक से काम नहीं कर पा रहा है। यही कारण है कि अब मिल्क कोऑपरेटिव बनाई जा रही हैं। इन संस्थाओं से जुड़े किसानों का दूध इकट्ठा करके मदर डेयरी को दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इन संस्थाओं का सदस्य पशुपालक यानी किसान भी होगा। उससे होने वाली आय का सीधा लाभ किसान को पहुंचेगा। उन्होंने बताया कि हरित प्रदेश संस्था फिलहाल पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, शामली, मेरठ, बिजनौर, हापुड़ और सहारनपुर में काम कर रही है। इन 7 जिलों से लगभग 15 से गांव के किसानों से 1.35 लाख लीटर दूध का संग्रह किया जा रहा है।

कहा कि अधिक से अधिक किसान जुड़ने के बाद एक समय आएगा कि यह संस्थाएं स्थानीय स्तर पर अपने कारखाने भी लगाएंगी, जहां पर मिल्क प्रोडक्ट यानी दूध के साथ दही आइसक्रीम आदि भी बनाने का काम करेंगे। एनडीडीबी डेरी सर्विस ने देशभर के राजस्थान गुजरात आंध्र प्रदेश पंजाब मध्य प्रदेश बिहार और उत्तर प्रदेश में किसानों के स्वामित्व वाली 19 संस्थाएं बनाई है। जिनमें एक संस्था हरित प्रदेश दुग्ध उत्पादक कंपनी भी है।

इस संस्था ने उत्तर प्रदेश के बनारस अमेठी बुंदेलखंड और मेरठ के क्षेत्रों में काम शुरू कर दिया है। एक दिन यह संस्था मदर डेयरी से भी बड़ी दिखाई देगी। इस संस्था का सदस्य बनने के लिए किसान को 100 रुपये में 5 शेयर खरीदने होंगे। कार्यक्रम के दौरान डेयरी विकास बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मीनेश शाह भी उपस्थित रहे।