अमेठी. तकनीकी खेती करके किसान अच्छी कमाई कर सकता है। इस बात को एक साफ्टवेयर इंजीनियर ने सिद्ध कर दिया है। कोविड काल में अवकाश होने पर घर आए इंजीनियर ने पपीते की खेती करके दस लाख से अधिक का मुनाफा कमाया है। अब वह वह किसानों के प्रेरणा स्त्रोत बन गए हैं। वह लोगों को बड़े उत्साह से अपनी सफलता बताकर उन्हें खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
यह कर दिखाया है संग्रामपुर ब्लाक के मधुपुर खदरी गांव निवासी सोमेश्वर सिंह ने। वह नोएडा में साफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। कोविड काल में जब उन्हें वर्क फ्राम होम रहकर नौकरी करनी पड़ी तो अतिरिक्त समय का लाभ उठाने का विचार उनके मन में आया। उन्होंने पपीते की खेती करने के बारे में परिवार वालों से बात की। कोई राजी नहीं हुआ। सब लोग कहने लगे कि पपीते की खेती कच्चा सौदा है। पर संजय ने कुछ करने की ठान ली थी। उन्हें पपीते की फसल का उत्पादन कर सफल होकर दिखाना था।
आनलाइन ली जानकारी
पहले पपीते की खेती के बारे में आनलाइन जानकारी ली। मेरठ के सप्लायर से बातचीत की। उससे 5200 पेड़ खरीदा। उसे खेत में लगा दिया। समय-समय पर विशेषज्ञ से राय लेकर पौंधों की देखभाल करते रहे। प्राकृतिक तालमेल सही नहीं हो पाने के कारण 1200 पौधे नष्ट हो गए। शेष में पपीते की अच्छी फसल आई। सोमेश्वर सिंह के पिता संजय सिंह ने बताया कि छह बीघे पपीते की खेती की गई है। लगभग छह लाख की लागत लगी थी। नौ लाख का अभी तक पपीता बेचा गया है। प्रतिदिन पपीते की बिक्री हो रही है। लगभग दस लाख से अधिक का मुनाफा आसानी से होने की उम्मीद है। अब उनके काम की तारीफ हो रही है।
खेत से हो रही है बिक्री
इंजीनियर ने कहा कि बिक्री के लिये हमें मंडी का सहारा नहीं लेना पड़ रहा है। प्रतापगढ़, रायबरेली, सुल्तानपुर व जिले के पपीते व्यवसायी बाइस से पचीस रूपये प्रति किलो की दर से खेत मे आकर पपीता खरीदकर ले जा रहे हैं।
दूसरे राज्यों में शुरू होगी बिक्री
इंजीनियर सोमेश्वर सिंह ने कहा कि वह इस समय ड्यूटी कर रहे हैं। वीडियो कालिग से प्रतिदिन फसल पर नजर रखे हैं। पखवाड़े भर में के एक चक्कर घर का लग जाता है। दूसरे राज्यों में भी पपीते भेजने का प्लान है, वहां इसकी कीमत काफी अच्छी है। दूसरे राज्यों के बड़े व्यापारियों से बात भी की है।