नई दिल्ली. ये बात पिछले महीने की है, जब नई दिल्ली-बिलासपुर राजधानी एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे एक व्यक्ति ने बायो-टॉयलेट फ्लश किया। उस डिफेक्टिव बायो-टॉयलेट ने सारी गंदगी को वापस फेंक दिया। टॉयलेट से गंदगी अपने ऊपर फेंके जाने से वह यात्री बहुत गुस्सा हुआ और रेलवे को लिखित में इसकी शिकायत की। उत्तर रेलवे को वह शिकायत 15 अप्रैल को मिली। हालांकि, शिकायत करने वाले शख्स को यह शायद ही पता होगा कि वह जो मुद्दा उठा रहा है वह रेलवे को एक बड़ी मुसीबत में डाल सकता है।
जिसके पास यात्री की शिकायत की कॉपी भी मौजूद है। शिकायत मिलने के एक दिन बाद ही रेलवे ने वह कोच ट्रैक से हटा दिया। 20 अप्रैल को उत्तर रेलवे के अधिकारी कौस्तुभ मनी ने सभी जोनल रेलवे को एक लिखित सूचना दी। उन्होंने कहा कि M/s Amit Engineers की तरफ से भेजे गए बायो-वैक्यूम टॉयलेट में ऐसी ही कई शिकायतें मिली हैं। कंपनी की तरफ से इन पर अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है। ऐसे में कंपनी पर भारतीय रेलवे की छवि को खराब करने के लिए 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा रहा है। उस लेटर में यह भी लिखा था कि सभी कंपनियों से भेजे गए सभी बायो वैक्यूम टॉयलेट की जांच की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी शिकायतें ना आएं।
एक बड़े स्कैम से उठा पर्दा!
करीब 16 महीने पहले 6 जनवरी, 2021 को रेलवे बोर्ड की जांच करने वाली टीम कहा था कि उन्हें वैक्यूम टॉयलेट की सप्लाई में किसी तरह के स्कैम का शक है। जब जांच की गई तो पता चला कि बोर्ड के कुछ अधिकारियों, इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री और दो कंपनियों के अधिकारियों के बीच मिली भगत है, जिसमें Amit Engineering भी शामिल है। इसके बाद रेलवे बोर्ड ने M/s Amit Engineers और M/s Oasis Fabrications को 5 साल के लिए बैन करने का सुझाव दिया।
भारतीय रेलवे से इस पर उनकी प्रतिक्रिया भी मांगी, लेकिन उनकी तरफ से ईमेल, वाट्सऐप या फिर फोन कॉल का जवाब नहीं दिया है। Amit Engineering के एक अधिकारी ने फोन कर के बताया कि उनके पास जो दस्तावेज हैं वह पूरी कहा बयां नहीं करते हैं। साथ ही अधिकारी ने कंपनी की तरफ से कोई बयान देने से भी मना कर दिया। इसके अलावा Oasis Fabrications से बात नहीं हो सकी है।
रेलवे लगा चुकी है करीब 2.5 लाख बायो टॉयलेट
भारतीय रेलवे ने पिछले साल तक करीब 1500 करोड़ रुपये खर्च कर के लगभग 2.5 लाख बायो टॉयलेट इंस्टॉल किए हैं। अभी यह नहीं पता है कि कितने बाय टॉयलेट M/s Amit Engineers की तरफ से सप्लाई किए गए हैं। 2019 से भी भारतीय रेलवे तेजी से बायो-टॉयलेट इंस्टॉल कर रही है, जो पीएम मोदी के स्वच्छ भारत मिशन का एक हिस्सा है।