कोलकाता. कोलकाता में मंगलवार को एक संगीत कार्यक्रम में प्रसिद्ध गायक केके की असमय मौत अपने किस्म का अकेला हादसा नहीं है। उनसे पहले भी कई और हस्तियां हार्ट अटैक के कारण असमय काल कवलित हुई हैं। पूरी तरह स्वस्थ नजर आने वाले टीवी अभिनेता 40 वर्षीय सिद्धार्थ शुक्ला की भी सितंबर में हार्ट अटैक से मौत हुई थी। जिस समय उन्हें दिल का दौरा पड़ा, वह गायक केके की तरह कोई परफार्मेस भी नहीं कर रहे थे, जिसका उन पर कोई दबाव होता। आधी रात को उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की तो स्वजन उन्हें तुरंत अस्पताल ले गए। लेकिन वहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
हालांकि इससे पहले कन्नड़ फिल्म अभिनेता 46 वर्षीय पुनीत राजकुमार को 26 अक्टूबर 2021 को बेंगलुरु में जब दिल का दौरा पड़ा, तो उस समय वह जिम में वर्कआउट कर रहे थे। इसी तरह एक्ट्रेस मंदिरा बेदी के पति, फिल्म निर्माता राज कौशल का हार्ट अटैक के बाद कार्डियक अरेस्ट से निधन हुआ, तब वह केवल 49 वर्ष के थे। काम का दबाव या किसी तरह का मानसिक तनाव हृदयाघात की आशंका कितनी ज्यादा बढ़ा देता है, इसका एक उदाहरण दो साल पहले अगस्त 2020 में कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता राजीव त्यागी के मामले में सामने आया था। एक टीवी चैनल पर बहस के दौरान उन्होंने दिल में बेचैनी महसूस की थी। तबीयत बिगड़ती देख उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
जीवनशैली और खानपान से रिश्ता : वैसे तो हृदय रोगों के बारे में अक्सर कहा जाता है कि यह बीमारी मुख्यत: खराब जीवनशैली (लाइफस्टाइल) और खराब खानपान की देन है। लेकिन हाल में जिन हस्तियों की हार्ट अटैक से मौत हुई है, उनके बारे में यह कहना प्रासंगिक नहीं जान पड़ता कि वे स्वास्थ्य के नियमों का पालन नहीं करते होंगे। सिद्धार्थ शुक्ला पूरी तरह फिट दिखते थे। पुनीत राजकुमार तो फिटनेस के प्रति अत्यधिक आग्रही थे। गायक केके को भी देखकर कोई नहीं कह सकता था कि वह जिम या योगासन का सहारा नहीं लेते होंगे या स्वस्थ भोजन (हेल्दी डाइट) नहीं करते होंगे। जिस तरह के पेशे में ये हस्तियां रही हैं, वहां खुद को हर चुनौती के लिए फिट रखना एक अनिवार्यता मानी जाती है। केवल ये हस्तियां ही नहीं, देश की वह युवा आबादी- जिसे हम कई वजहों से एक बेमिसाल पूंजी मानते हैं, पहले के मुकाबले अब स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सजग दिखाई देती है।
शहरों के जिम युवाओं से आबाद रहते हैं। गांवों की दिनचर्या में भी बेहतर जीवनशैली पर जोर दिया जाता है। इसके बावजूद हमारा यह युवा देश हृदयरोगों के मामले में एक बड़ी मुश्किल में फंसते हुए नजर आ रहा है। दो साल से ज्यादा लंबे खिंचे महामारी के दौर में दिल की बीमारियों का यह उल्लेख इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि हृदयरोग को कोरोना की चपेट में आए कई मरीजों की मौत की वजह भी माना गया है। हालांकि यह सही है कि जिन्हें कोरोना छूकर नहीं गया है, लेकिन जो लोग बदलती जीवनशैली और बिगड़े हुए खानपान के शिकार हैं, उनका दिल भी जवाब दे रहा है।