मेरठ। महिला एथलीट्स में 400 मीटर दौड़ की नई सनसनी बन चुकी मेरठ की रूपल चौधरी को फर्राटा भरने की शुरुआत भूख हड़ताल से करनी पड़ी थी। किसान पिता ओमवीर सिंह को खेलने की अनुमति देने को मनाने के लिए रूपल ने जब तीन दिनों तक भूख हड़ताल कर ली तो पिता का हृदय पिघल गया और वह स्वयं उन्हें खेल में आगे बढ़ने को प्रोत्साहित करने लगे।
पिता के विश्वास और अपने आत्मविश्वास के साथ रूपल फेडरेशन कप में सर्वश्रेष्ठ धाविका बनीं और शनिवार को उन्हें बेस्ट एथलीट की ट्राफी से नवाजा गया। हिमा दास को अपनी आइकन मानने वाली रूपल अब उनके राष्ट्रीय रिकार्ड को तोड़ना चाहती हैं। हिमा ने वर्ष 2018 में 400 मीटर दौड़ 51.46 सेकेंड में पूरी की थी जिसे रूपल 2024 तक तोड़ने का मन बना चुकी हैं।
अब निगाहों में कामनवेल्थ का टिकट
मेरठ में घास के मैदान पर दौड़ते हुए रूपल ने दिल्ली के सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक पर सप्हात में तीन-तीन दिन अभ्यास कर जूनियर फेडरेशन कप में 21 साल पुराना रिकार्ड तोड़कर यह उपलब्धि और आत्मविश्वास हासिल किया है। रूपल के कोच विशाल सक्सेना ने बताया कि 10 से 14 जून तक चेन्नई में नेशनल इंटर स्टेट नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रूपल हिस्सा लेने जाएंगी।
अब कामनवेल्थ गेम्स पर निगाहें
400 मीटर की धावकों में रूपल वर्तमान में देश में नंबर तीन रैंक पर हैं। जूनियर वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में चयनित होने के बाद अब रूपल की निगाहें कामनवेल्थ गेम्स पर टिकी हैं। फेडरेशन कप में रूपल का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 52:48 सेकेंड रहा है। कामनवेल्थ गेम्स में 400 मीटर का क्वालीफाइंग समय 51.50 सेकेंड है। रूपल भले ही एकल प्रतिस्पर्धा में इस समय से पीछे चल रही हैं लेकिन 400 मीटर रिले दौड़ की टीम में चयनित होने की पूरी संभावना है। इसमें चार टाप एथलीट चुने जाते हैं और रूपल तीसरे स्थान पर हैं।
रियो ओलिंपिक देख मिली प्रेरणा
रूपल के अनुसार वर्ष 2016 में रियो ओलिंपिक गेम्स में पीवी सिंधु और साक्षी मलिक की उपलब्धियों को देखकर वह भी खेलने को प्रेरित हुईं। तभी ने उन्होंने ओलिंपिक गेम्स में देश के लिए पदक जीतने का मन बना लिया था। 17 वर्षीय रूप कहती हैं कि अभी तो उन्होंने खेल करियर में राष्ट्रीय फलक पर कदम रखा है। उन्हें अभी लंबी पारी खेलनी है और खेल पर ही पूरा ध्यान केंद्रित रखना है।