कानपुर. कानपुर के बेकनगंज इलाके में हुई हिंसा मामले में पुलिस ने अब तक 29 लोगों को गिरफ्तार किया है और कई लोगों पर पर एफआईआर दर्ज की है. इस मामले पर कानपुर के पुलिस कमिश्नर ने कहा है कि मोबाइल की जांच करने पर पता चला है कि पीएफआई की कुछ सामग्री मिली है, जिससे पीएफआई कनेक्शन से इंकान नहीं किया जा सकता है. उन्होंने बताया है कि सभी पहलुओं को लेकर जांच की जा रही है और जल्द ही इसका पूरा खाका तैयार कर लिया जाएगा. मामले में जितने लोग भी गिरफ्तार हुए हैं वो सभी कानपुर के हैं.

कानपुर हिंसा में सवाल इसलिए गहरा हो जाता है क्योंकि जिस दिन पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शहर में होते हैं उसी दिन हिंसा फैलाई जाती है. इस मामले में पीएफआई का कनेक्शन सामने आ रहा है. आरोप है कि पीएफआई ने ही स्थानीय लोगों की मदद से कानपुर में हिंसा फैलाई है. लेकिन ये पीएफआई है क्या जिसे पहले भी बैन करने की मांग हो चुकी है.

पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को एक चरमपंथी इस्लामी संगठन माना जाता है.

पीएफआई का गठन साल 2006 में एनडीएफ यानी नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट के मुख्य संगठन के तौर पर किया गया था. इसका मुख्यालय दिल्ली में है.

एनडीएफ के अलावा पीएफआई ने कई राज्यों के संगठनों के साथ मिलकर अपनी पकड़ मजबूत की है.

पीएफआई का विवादों से पुराना नाता है. साल 2012 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने पीएफआई की गतिविधियों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया था.

एनआईए ने पीएफआई को कई मामलों में नामजद किया है.

गृह मंत्रालय के मुताबिक, यूपी में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, वाराणसी, आजमगढ़ और सीतापुर क्षेत्रों में PFI सक्रिय रहा है.

यूपी की योगी सरकार कई बार पीएफआई को बैन करने की मांग कर चुकी है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने एक बार कहा था कि स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी के कई कार्यकर्ता अब पीएफआई में शामिल हो चुके हैं.

यही बात यूपी सरकार ने इस पर बैन लगाने को लेकर कही थी. ये संगठन राज्य में हिंसा फैलाने का काम करता है.
पीएफआई यूपी समेत करीब 7 राज्यों में एक्टिव है.