जबलपुर: मध्य प्रदेश में ड्रोन के बेहतर इस्तेमाल के लिए शिवराज की सरकार बेहद गंभीर है. प्रदेश में ड्रोन टेक्नोलॉजी से कृषि, बागवानी, वन,उद्योग और गृह विभाग के कामकाज के बेहतर बनाने की कोशिश की जा रही है. ड्रोन तकनीक में नवाचार, प्रयोग, पायलट पर होने वाला खर्च के लिए सरकार ने प्रत्येक जिले को 10 लाख रुपये का आवंटन दिया है.जिला ई-गवर्नेंस सोसायटी की निधि से यह खर्च वहन किया जाएगा. इस संबंध में राज्य के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मानना है कि आने वाले वर्षों में मध्य प्रदेश को हजारों ड्रोन पायलटों की आवश्यकता होगी.केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार के कई मंत्रालय ड्रोन सेवाओं की मांग बढ़ाने पर काम कर रहे हैं.
यहां बता दें कि मध्य प्रदेश में ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देने के लिए 5 करोड़ 20 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं. सभी कलेक्टरों और जिला ई-गवर्नेंस प्रबंधक,जिला ई-गवर्नेंस सोसायटी को 10 लाख रुपये खर्च करने के आदेश दिए गए हैं.
प्रदेश का पहला एग्रीकल्चर ड्रोन बनाने वाले अभिनव सिंह ठाकुर के मुताबिक मध्य प्रदेश के 12वीं पास युवा ड्रोन पायलट बनकर बढ़िया जॉब भी हासिल कर सकते हैं. सरकार युवाओं को ड्रोन पायलटिंग का प्रशिक्षण देने पर काम कर रही है. सिर्फ दो-तीन महीने के प्रशिक्षण के बाद वे ड्रोन पायलट बन सकते हैं और मासिक वेतन 30 से 35 हजार रुपये से अधिक कमा सकते हैं. ड्रोन पायलटिंग के क्षेत्र में कई अवसर हैं.
मध्य प्रदेश सरकार ने ड्रोन नीति में संशोधन और नागरिकों को त्वरित सेवाएं प्रदान करने में ड्रोन तकनीक का उपयोग करने के उपाय सुझाने के लिए प्रमुख सचिव विज्ञान और प्रौद्योगिकी की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन किया था.टास्क फोर्स द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश जल्द ही सभी विभागों और संबंधितों को भेजे जाएंगे.
ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग से कृषि, बागवानी, वन, उद्योग और गृह विभागों के क्षेत्र में कार्य बहुत आसान हो जाएंगे.इससे खेतों और बगीचों में कीटनाशकों या फफूंदनाशकों का सुरक्षित छिड़काव कर सकेंगे.जंगलों में अवैध गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी.आग की सूचना भी मिल सकेगी.इसके साथ ही ड्रोन राज्य के सबसे दुर्गम इलाकों में दवा पहुंचाने का काम करेंगे.ड्रोन तकनीक से ट्रैफिक को नियंत्रित करने और अपराधियों को पकड़ने में भी मदद मिलेगी.इन सभी गतिविधियों से रोजगार भी पैदा होगा.