नई दिल्ली. केंद्र सरकार अगले महीने से नया वेज कोड लागू करने की तैयारी में है. अगर 01 जुलाई से वेज कोड बदलता है, तो निजी क्षेत्र के कर्मचारी इससे सीधे तौर पर प्रभावित होंगे. प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों को इस बदलाव से फायदा और घाटा दोनों एक साथ होने वाला है. ऐसे कर्मचारियों के लिए फायदे की बात ये है कि नया वेज कोड रिटायरमेंट के फायदों को बढ़ा देगा. हालांकि नुकसान की बात ये है कि प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों की इन-हैंड सैलरी यानी टेक होम सैलरी कम हो जाएगी.

मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार, नए वेज कोड 2019 को 01 जुलाई से लागू किया जा सकता है. नए नियमों के तहत, प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों की बेसिक सैलरी, उनकी टोटल सैलरी की कम से कम 50 फीसदी हो जाएगी. इस बदलाव से उनका PF कंट्रीब्यूशन बढ़ जाएगा. रिटायरमेंट के लिहाज से एक्सपर्ट इस बदलाव को अच्छा मान रहे हैं. इसके साथ ही कर्मचारियों के ग्रेच्युटी भी बढ़ जाएगी. यह भी रिटायर होने के बाद कर्मचारियों को अधिक फायदा देगा.

किसी कर्मचारी की CTC में कई कम्पोनेंट्स होते हैं, जैसे बेसिक सैलरी, HRA, रिटायरमेंट बेनिफिट (PF, Gratuity) और अलाउंस आदि. पुराने सैलरी स्ट्रक्टर के तहत बेसिक सैलरी यानी मूल वेतन, एक्चुअल सैलरी का 35 से 40 फीसदी होता है. बेसिक सैलरी के आधार पर ही PF का डिडक्शन होता है. नियमों के मुताबिक, नियोक्ता यानी कंपनियां एम्प्लॉइ कंट्रीब्यूशन के तौर पर बेसिक सैलरी से 12 फीसदी काटती हैं, जो कि प्रोविडेंट फंड में कर्मचारी का हिस्सा है. इतना ही कंट्रीब्यूशन नियोक्ता को अपनी तरफ से प्रॉविडेंट फंड में देना होता है.

बेसिक सैलरी – 35-40%
HRA – 15%
ट्रांसपोर्ट अलाउंस – 15%
स्पेशल अलाउंस – 30-35%

ये कहता है मौजूदा वेज कोड

उदाहरण के तौर पर, अगर किसी की बेसिक सैलरी 25,000 रुपये है, तो PF में उसका कंट्रीब्यूशन 3,000 रुपये होगा. इतना ही योगदान कंपनी (3,000 रुपये) देगी. हालांकि, एक और PF रूल है जो नियोक्ता को PF कंट्रीब्यूशन 15,000 रुपये प्रति माह के 12 फीसदी (1,800 रुपये प्रति महीने) तक सीमित करने की इजाजत देता है. कई कंपनियां ये रास्ता भी अपना सकती हैं…

वेज कोड 2019 के प्रावधानों के तहत, कर्मचारी की बेसिक सैलरी, टोटल सैलरी या CTC की कम से कम 50 फीसदी होनी चाहिए. बेसिक सैलरी बढ़ने का सीधा मतलब PF कंट्रीब्यूशन और ग्रेच्युटी बढ़ना है. दूसरी ओर इससे टेक होम सैलरी घट सकती है. नए वेज कोड के लागू होने से PF कंट्रीब्यूशन के साथ कर्मचारी की ग्रेच्युटी भी बढ़ जाएगी. उदाहरण के लिए अगर आपकी लास्ट सैलरी 50,000 रुपये है और आपने 5 साल किसी कंपनी में काम किया है तो आपकी ग्रेच्युटी 1.25 लाख रुपए बनेगी. नई व्यवस्था में ग्रेच्युटी की गणना ‘डीम्ड’ बेसिक सैलरी के आधार पर होगी, जो कि टोटल सैलरी के 50 फीसदी से कम नहीं होनी चाहिए. यानी अगर आपकी टोटल सैलरी 2 लाख रुपये है और बेसिक सैलरी 50 हजार रुपये है, तो आपकी ग्रेच्युटी एक लाख रुपये (2 लाख रुपये के ग्रॉस पे का 50 फीसदी) के हिसाब से तय की जाएगी.