भोपाल। धरती की सतह का तापमान हर साल औसतन 0.03 डिग्री सेल्सियस बढ़ रहा है। आंकड़े बताते हैं कि धरती का वैश्विक तापमान पिछले 10 वर्षों में हर जगह औसतन 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा है। इसके साथ ही महासागरों के सतही जल के तापमान में भी 0.6 से 1.8 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। विज्ञानियों का मानना है कि इन बदलावों से वायुमंडल में अस्थिरता और वाष्प की मात्रा पहले से काफी अधिक दर्ज हो रही है।

यही नहीं प्रदूषकों की बढ़ती सांद्रता के कारण भी अधिक ऊंचाई तक बनने वाले बादलों में एकाएक आवेशन की संभावनाएं ज्यादा होने लगी हैं, जो बिजली गिरने की घटनाओं के लिए उत्तरदायी होती है। यही वजह है कि भारत में भी बिजली गिरने की घटनाएं बीते 52 वर्ष में 38 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं।

वैश्विक संगठन सीआरओपीसी (क्लाइमेट रेसिलेंट आब्जर्विग सिस्टम्स प्रमोशन काउंसिल) ने वर्ष 1967 से 2019 तक ऐसी घटनाओं के औसत और वर्ष 2020-2021 की विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं व बदलावों पर अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है। मौसम विज्ञान विभाग, पुणे के साथ मिलकर संगठन ने कुछ आंकड़े भी जारी किए हैं।वहीं बादल से धरती पर गिरने वाली बिजली की घटनाओं में 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

इन आंकड़ों के अनुसार देश में वर्ष 2019 से 2020 में 1,38,60,378 बार बिजली गिरने की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जो वर्ष 2020-2021 में बढ़कर 1,85,44,367 हो गईं। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि बिजली भी दो तरह की होती है, एक बादल से बादल में जाने वाली और दूसरी बादल से धरती पर गिरने वाली। इसमें बादल से बादल में जाने वाली बिजली की घटनाएं 44 प्रतिशत बढ़ी हैं।

  • वर्षा के समय खेत, खुले मैदानों, पेड़ों या ऊंचे स्तंभों के पास न जाएं क्योंकि इन स्थानों पर बिजली गिरने की आशंका ज्यादा रहती है।
  • यदि बाहर बिजली कड़करही है और आप घर के अंदर हैं, तो भी बिजली से चलने वाले यंत्रों से दूर रहें।
  • बिजली कड़कने के दौरान टेलीफोन, मोबाइल, इंटरनेट आदि सुविधाओं का उपयोग करने से बचें। खिड़की और दरवाजों को अच्छे से बंद कर लें।
  • अपने आसपास ऐसी कोई चीज न रखें, जो बिजली की सुचालक हो। ये बिजली को आकर्षित करती हैं।
  • खुली छत पर जाने से बचें। धातु के पाइप, नल, फव्वारे से दूर रहें।
  • खराब मौसम में जमीन के संपर्क में रहने से बचे। खाट, बिस्तर पर रहें। रबर की चप्पल पहनें।

मौसम विभाग वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. वेद प्रकाश सिंह कहते हैं कि दुनिया भर में बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ी हैं। इनसे बचाव के लिए हमें दो से तीन घंटे पहले ही बिजली गिरने के पूर्वानुमान की तकनीक और माडल विकसित करने की जरूरत है। इस दिशा में मौसम विज्ञान विभाग अन्य संबंधित संस्थाओं के साथ सतत शोध के लिए प्रयासशील है। अभी भारत में दामिनी एप बिजली गिरने का पूर्वानुमान 20 मिनट पहले दे रहा है। इसका समय बढ़ाने पर लगातार काम हो रहा है।