नई दिल्ली. आमतौर पर बच्चे खेलने में अधिक रूचि दिखाते हैं और पढ़ाई से जी चुराते हैं. उनका दिमाग अक्सर इधर-उधर की फालतू चीजों में लगा रहता है, लेकिन पढ़ाई में नहीं लगता. बच्चों का स्वभाव चंचल होने के कारण वह अपनी क्षमताओं का पूरा प्रदर्शन नहीं कर पाते जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है. ऐसे में इस बात को लेकर माता-पिता का चिंतित होना स्वाभाविक हो जाता है. अगर आपके बच्चे का यही हाल है तो वास्तु शास्त्र में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं, जिन्हें अपनाने से बच्चों में एकाग्रता बढ़ सकती है. आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।

स्टडी रूम में किताबों की रैक उत्तर या पूर्व दिशा की दीवार पर रखें. अगर किताबों की अलमारी है तो उसे भी पूर्व या उत्तर दिशा में रखें.

बच्चे की टेबल और चेयर को इस तरह रखें कि पढ़ते समय उसका मुंह पूर्व या उत्तर में हो. दक्षिण दिशा की तरफ तो बिल्कुल नहीं होना चाहिए. इससे उसका ध्यान भटकता है.

घर में बच्चों का कमरा कभी भी शौचालय के नीचे नहीं होना चाहिए.

इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे की स्टडी टेबल आयताकार या चौकोर हो.

कमरे के चटक रंग से बच्चे का मन पढ़ाई से भटका सकता है. इसलिए स्टडी रूम में हल्का हरा या पीले रंग का प्रयोग करें.

बच्चे की चेयर कमरे में इस तरह रखें कि उसकी पीठ के पीछे खिड़की हो. इससे बच्चे को एनर्जी मिलती है और उसका ध्यान नहीं भटकता.

स्टडी रूम के गेट पर नीम की कुछ डालियां बांध दें। ऐसा करने से सकारात्कमक और शुद्ध हवा प्रवाहित होती है.
बच्चों के स्टडी रूम में ज्यादा सामान भरा हुआ नहीं होना चाहिए.

बच्चे के माथे पर केले के वृक्ष की मिट्टी का तिलक लगाएं.

इस बात का ध्यान दें कि बच्चों के कमरे में शीशा ऐसी जगह न लगा हो जहां पुस्तकों पर उसकी परछाई आती हो.
बच्चों को प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप नियमित रूप से कराएं.

बच्चों के पढ़ाई के कमरे में प्राकृतिक उजाला होना चाहिए. इसके साथ ही लाइट का भी ध्यान दें.

अगर बच्चे के पढ़ाई के कमरे में कम रोशनी होगी तो उसका असर उसकी पढाई पर पड़ेगा. स्टडी रूम में हरे रंग के पर्दे लगाएं, इससे बच्चों में एकाग्रता बढ़ती है.

बच्चों को मां सरस्वती और भगवान श्रीगणेश के बीज मंत्रों का जाप कराएं.
बच्चों से धार्मिक पुस्तकों, कलम व शिक्षा सामग्री का दान कराएं.