नई दिल्ली. राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू इन दिनों प्रचार में व्यस्त है. अगर सबकुछ ठीक रहा तो उनका राष्ट्रपति बनना लगभग तय माना जा रहा है. राष्ट्रपति चुनाव को लेकर एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की चर्चा इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रही है. लेकिन इस बीच उनके पैतृक गांव में आज तक बिजली नहीं पहुंचने की खबर ने विपक्ष को सरकार पर हमला करने का मौका दे दिया है. द्रौपदी मूर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरगंज जिले के ऊपरबेडा गांव में हुआ था. आजादी से लेकर अबतक इतने साल बीत जाने के बाद भी उनके पैतृक गांव में बिजली नहीं पहुंच पाई है. आज भी उनका पैतृक गांव बिजली की सुविधा से दूर है.
मौजूदा समय द्रौपदी मुर्मू के पैतृक गांव की कुल आबादी 3500 के करीब है. इस गांव में बड़ाशाही और डूंगरीशाही दो टोले हैं. बड़ाशाही में तो बिजली उपलब्ध है, लेकिन डूंगरीशाही में आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी बिजली नहीं पहुंच पाई है. बिजली नहीं होने के कारण डूंगरीशाही के लोग आज भी घरों में उजाला करने के लिए लिए पारंपरिक मिट्टी के तेल के दिये पर निर्भर है. गांव के लोग आज भी केरोसीन ऑयल के जरिए आग लगाकर घरों से अंधेरा गायब करते हैं. वहीं बिजली नहीं होने से गांव के लोगों को अपना मोबाइल चार्ज करने के लिए गांव से एक किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.
लेकिन जब से द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है, तभी से डूंगरीशाही भी चर्चा में आ गया है. गांव में बिजली नहीं होने पर ये सुर्खियों में रहना लगा. इसके बाद ओडिशा सरकार ने आनन-फानन में इस गांव तक बिजली पहुंचाने के लिए युद्धस्तर पर शुरुआत की. प्रदेश सरकार ने तुरंत ही द्रौपदी मुर्मू के पैतृक गांव से अंधेरा दूर करने के लिए वहां पर बिजली के खंभे और ट्रांसफार्मर लगाने का काम शुरू कर दिया है.
इस रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस को बीजेपी पर हमला करने का मौका मिल गया. कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि जिस दिन पीएम मोदी ने दावा किया कि सभी गांवों में बिजली पहुंच गई है. हमने देखा की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पैतृक गांव में बिजली नहीं है. मीडिया में खबर दिखाए जाने के बाद अब वहां बिजली पहुंचाने का काम किया जा रहा है. ये अकेला गांव नहीं है जहां पर बिजली नहीं है. इस बात को स्वीकार करने में कोई शर्म नहीं है कि आज भी भारत के कई दूरदराज इलाकों और गांवों में बिजली नहीं पहुंच पाई है.