नई दिल्ली. सबसे पहला सवाल आता है कि माइंडफुलनेस है क्या? क्या यह कोई मेडिटेशन है, जिसमें बैठकर कई मिनट या घंटों तक ध्यान लगाना होता है? आपको बता दें कि माइंडफुलनेस ध्यान का एक छोटा रूप है. इतना छोटा कि आपको इसके लिए सिर्फ 5 मिनट चाहिए होते हैं. बस ये पांच मिनट अपने लिए रोज निकालें और ऐसे समय पर निकालें, जब आप शांत मन से सिर्फ अपने साथ बैठ सकें. यह समय सोने से ठीक पहले या फिर सुबह जागने के तुरंत बाद का समय भी हो सकता है, क्योंकि आमतौर पर इन समय पर व्यक्ति का मन शांत होता है और वो किसी हड़बड़ाहट में नहीं होता है. यदि आपके साथ ये समय संभव नहीं हैं तो आप अपनी सुविधा के अनुसार कोई भी समय चुन सकते हैं.

आप शांत होकर पालथी लगाकर (सुखासन में) बैठ जाएं. आंखें धीरे से बंद करें, मन शांत करें. इसके लिए गहरी सांस लें और अपना ध्यान अपनी सांसों पर केंद्रित करें.

बैठने के समय अपनी कमर को एकदम सीधा रखें, सांस भरते समय पेट फुलाएं और सांस छोड़ते समय पेट अंदर खींच लें. इस दौरान खुद को शांत रखें और कोई हड़बड़ी ना करें.

अपने आस-पास की हवा, ऊर्जा, आवाज सभी को अनुभव करें. मतलब खुद को शांत रखते हुए इस बात पर ध्यान देना है कि आपके चारों ओर क्या घट रहा है. जो घट रहा है, उसे सिर्फ अनुभव करना है, उसके बारे में अपना कोई विचार नहीं बनाना है. ना ही इन आवाजों से कोई जुड़ाव महसूस करना है, फिर चाहे वो बच्चे के रोने की आवाज हो या हंसने की या चिड़िया के चहकने की. इन आवाजों को सिर्फ सुनना है, खुद को इनसे अलग रखते हुए. आपका ध्यान आपकी सांसों पर होना चाहिए.

तीन से चार मिनट ऐसा करने के बाद आप चाहें तो अगला एक मिनट अपने स्वयं के बारे में सोचने के लिए रखें. ध्यान दें आपको अपनी किस आदत को सुधारना है, अपनी भावनाओं को कैसे नियंत्रित करना है. दूसरों को कोई दुख ना हो और आपका भी कोई नुकसान ना हो, इसके लिए क्या करना चाहिए, इसकी प्लानिंग करें.

ऐसा करने से मन और शरीर दोनों शांत होते हैं. खासतौर पर जब आप इस एक्सर्साइज को सुबह के समय करते हैं तो पूरा दिन बहुत शांत और आरामदायक बीतता है. आपको अपने निर्णय लेने में आसानी होती है.

आप चाहें तो इस एक्सर्साइज को ऑफिस में थोड़ा समय निकालकर कुर्सी पर बैठकर भी कर सकते हैं. क्योंकि माइंडफुलनेस मन को शांत करने, एकाग्रता बढ़ाने और अपने अंदर की नकारात्मकता को कम करना है.
माइंडफुलनेस के फायदे

माइंडफुलनेस की नियमित प्रैक्टिस से मन शांत रहता है.
गुस्से पर नियंत्रण रहता है.
निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है.
ऊर्जा का विकास होता है.
फोकस बढ़ता है.
प्रॉडक्टिविटी बढ़ती है.
आप अधिक खुश रहते हैं.