पटना. बिहार में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के पांच विधायकों में से चार विधायकों के राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) में शामिल होने के बाद विधानसभा का समीकरण फिर से बदल गया. एक दिन पहले तक विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में बीजेपी का मिला तमगा छीन गया और आरजेडी अब फिर से सबसे बड़ी पार्टी बन गई.
वैसे, विधानसभा चुनाव 2020 के बाद से ऐसा नहीं कि विधानसभा के समीकरण में यह कोई पहली बार बदलाव हुआ हो. इस चुनाव के बाद से ही सभी दल अपनी संख्या बल को मजबूत करने में जुटे रहे, जिसमें उन्हें सफलता भी मिली.
चुनाव के बाद यानी सरकार बनने के दो महीने बाद ही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एकमात्र विधायक जमा खान जेडीयू का दामन थाम लिया तो इसके कुछ ही दिनों के बाद लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के विधायक राजकुमार सिंह को भी जेडीयू भाने लगा और वे जेडीयू के सदस्य बन गए.
इसके बाद इस साल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के तीन विधायकों ने पाला बदलकर बीजेपी का दामन थाम लिया, जिससे विधानसभा के अंदर का परिदृश्य बदल गया. इस दल बदल में फिलहाल विधानसभा में वीआईपी, लोजपा और बसपा के एक भी विधायक नहीं बचे.
चुनाव के बाद आरडेजी राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. लेकिन वीआईपी में टूट के बाद बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप सामने आई. इस बीच, एआईएमआईएम के पांच में से चार विधायक आरजेडी का दामन थाम लिया जिससे आरजेडी राज्य में फिर से सबसे बड़ी पार्टी बन गई.
गौरतलब है कि चुनाव में आरजेडी को 75 सीटें मिली थीं, लेकिन अब इसके विधायकों की संख्या 80 हो गई है. आरजेडी ने वीआईपी के विधायक मुसाफिर पासवान के निधन के बाद खाली हुई सीट बोचहा में हुए उपचुनाव में भी जीत दर्ज की थी.
बिहार विधानसभा में फिलहाल आरजेडी के पास जहां 80 सीटे हैं, वहीं बीजेपी के पास 77 और जेडीयू के पास 45 विधायक हैं. वैसे, इन बदलावों से सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है.