नई दिल्ली. सफलता की कुंजी के अनुसार मनुष्य का जीवन महत्वपूर्ण है. इस जीवन को सुंदर बनाने का प्रयास करना चाहिए. मनुष्य को सदैव ऐसे कार्य करने चाहिए, जिससे स्वयं और दूसरों का भी कल्याण हो. इस संसार को रहने योग्य बनाने में अपना योगदान देना चाहिए.

विद्वानों का मानना है कि प्रत्येक मनुष्य को ईश्वर ने कुछ न कुछ खूबी और प्रतिभा प्रदान की है. इन खूबियों को जानकर, समझ कर उन्हें विकसित करने का प्रयास करना चाहिए और सफलता में सहायक बनाना चाहिए. गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति को अवगुणों से दूर रहना चाहिए. इसके साथ ही इन तीन चीजों से भी दूर रहना चाहिए-

सफलता की कुंजी कहती है कि आलस व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है. आलस एक ऐसा अवगुण है जो व्यक्ति को कभी सफल नहीं होने देता है. आलसी व्यक्ति सदैव आज के कार्य को कल पर टालने का प्रयास करता रहता है. व्यक्ति को हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वक्त किसी के लिए नहीं रूकता है, वो अपनी गति से चलता रहता है. जो समय एक बार गुजर जाता है, वो दोबारा लौटकर नहीं आता है. इसलिए जो अवसर हाथ से निकल जाते हैं, वे दोबारा नहीं मिलते हैं. इसलिए आलस का त्याग करना चाहिए.

सफलता की कुंजी कहती है लोभ करना, सबसे बुरी आदतों में से एक है. लोभ करने वाला व्यक्ति कभी संतुष्ठ नहीं होता है. लोभ करने वाला व्यक्ति बहुत परेशान और बेचैन रहता है. ऐसा व्यक्ति समय के साथ स्वार्थी भी बन जाता है, जो सिर्फ अपने हितों का ध्यान रखता है. अन्य व्यक्तियों को जब इस अवगुण के बारे में पता चलता है, तो दूसरे लोग, दूरी बना लेते हैं. क्योकि लोभी और स्वार्थी व्यक्ति को कोई भी पसंद नहीं करता है. ऐसे लोग कभी भी बड़ी सफलता प्राप्त नहीं कर पाते हैं. प्रतिभा होने के बाद भी अन्य लोगों को पिछड जाते हैं. इसलिए इस अवगुण से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए.

सफलता की कुंजी कहती है कि मनुष्य को क्रोध से दूर रहना चाहिए. क्रोध में मनुष्य सही और गलत का भेद भूल जाता है. क्रोध करने वाले को सम्मान प्राप्त नहीं होता है.