नई दिल्ली. राज्यसभा के लिए नामित किए गए दक्षिण भारत की चार हस्तियों के नाम चर्चा में हैं। इनमें प्रसिद्ध एथलीट पीटी उषा, संगीतकार इलैयाराजा, विजयेंद्र प्रसाद और वीरेंद्र हेगड़े शामिल हैं। आखिर क्यों इस बार दक्षिण भारत की चार हस्तियों को राज्यसभा के किया गया नामित, इसके पीछे मोदी सरकार की क्या रणनीति है?
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो दक्षिण भारत भाजपा की कमजोर कड़ी रहा है। भाजपा समय-समय पर दक्षिण भारत में सियासी कद बढ़ाने के लिए प्रयासरत रही है। गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों ही हैदराबाद में एक कार्यक्रम के दौरान दावा किया था कि अगले 30 से 40 सालों तक भाजपा की सरकार रहेगी। अमित शाह के इस दावे के पीछे भी भाजपा की वही रणनीति है, जिस पर बड़ी गंभीरता से काम किया जा रहा है। इस रणनीति में दक्षिण भारत में भाजपा का कद बढ़ाना भी शामिल है, क्योंकि तभी देश पर 40 साल तक राज कर पाना संभव है।
दक्षिण भारत के कई राज्य हैं, जिनमें भाजपा को काफी काम करना है। केरल और आन्ध्र प्रदेश में अपनी जगह बनानी है। तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक के साथ रहते-रहते अपनी अलग सियासी जमीन तैयार करनी है, ताकि एक समय पूरे प्रदेश पर भाजपा की सरकार सत्ता में आ सके। भाजपा की रणनीति को राज्यसभा में मनोनीत चार चेहरे पार्टी को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
भाजपा ने तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक राज्यों को राजनीतिक संदेश भी दिया है। दरअसल, खेल, फिल्म, संगीत और समाजसेवा से जुड़े पीटी उषा, इलैयाराजा, वीरेंद्र हेगड़े और वी विजेंद्र प्रसाद अपने-अपने क्षेत्रों के साथ गृह राज्य में विशिष्ट स्थान रखते हैं।
वी विजेंद्र प्रसाद और वीरेंद्र हेगड़े को भी मनोनीत करके भाजपा ने अपने मिशन दक्षिण भारत का बड़ा संदेश दिया है।
चार नामित हस्तियों में एक महिला, एक दलित और एक जैन समुदाय से आने वाले अल्पसंख्यक हैं।
दक्षिण भारत भाजपा की सबसे कमजोर कड़ी है, इसलिए उसके लिए उसे विभिन्न स्तरों पर काम करना होगा।
मोदी सरकार की उत्तर भारतीय और हिंदी नेतृत्व वाली छवि को भी फैलाने में मदद मिलेगी।
हाल के राज्यसभा चुनाव में विपक्षी दलों को भाजपा की ओर से झटका दिए जाने के बाद सरकार ने प्रसिद्ध एथलीट पीटी उषा व प्रसिद्ध संगीतकार इलैयाराजा समेत दक्षिण भारत की चार हस्तियों को राज्यसभा में नामित कर एक साथ कई निशाने साधे हैं। भाजपा इस समय भारतीय राजनीति में कुछ ऐसे प्रयोग कर रही है, जिसका भविष्य में उसे काफी फायदा होगा। ऐसे में विपक्षी पार्टियों को अपना अस्तित्व बचाने के लिए जोर लगाना होगा। भाजपा ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया था। आज कांग्रेस बेहद कम राज्यों में रह गई है। ये भाजपा की पिछले काफी समय पहले बनाई गई रणनीति का ही परिणाम है।