नई दिल्ली। केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार की आज हाईकोर्ट में जमकर तीखी बहस हुई। दोनों पक्षों के बीच राजधानी में ऑक्सीजन की सप्लाई को लेकर तकरार हुई। मालूम हो कि राजधानी में कोरोना के बढ़ते मामलों ने स्वास्थ्य व्यवस्था की कमर तोड़ दी है। आलम ये है कि मरीज ऑक्सीजन को तरस रहे हैं। जीवनरक्षक गैस की कमी ने कई लोगों को उनके परिजनों से छीन भी लिया है।
ताजा मामले में दिल्ली हाईकोर्ट केजरीवाल सरकार की उस मांग पर सुनवाई कर रहा था जिसमें दिल्ली सरकार ने केंद्र से निरंतर ऑक्सीजन की सप्लाई की मांग की है। इस बात को लेकर केंद्र और दिल्ली के बीच बहस हो गई। दिल्ली सरकार के वकील ने कहा, “अगर हमें 480 टन ऑक्सीजन नहीं मिली, तो सिस्टम ध्वस्त हो जाएगा। हमने पिछले 24 घंटों में देखा है। कुछ विनाशकारी होगा।” वकील ने कहा कि दिल्ली को शुक्रवार को सिर्फ 297 टन ऑक्सीजन मिली।
दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन आवंटन और आपूर्ति के स्पष्ट विवरण के साथ केंद्र से विस्तृत जवाब मांगा। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली सरकार पर अपना काम ठीक से न करने का आरोप लगाया। बता दें कि पिछली सुनवाई में अदालत ने केंद्र को दिल्ली की मांग सुनने का निर्देश दिया था।
दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा की शिकायत के जवाब में, मेहता ने कहा, ‘मैं अपनी ज़िम्मेदारी जानता हूं। मैं बहुत सी बातें जानता हूं, लेकिन कुछ नहीं कह रहा हूं। चलो कोशिश करते हैं और बच्चों की तरह रोना-धोना बंद करते हैं।’
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन की कमी के बारे में एक अस्पताल की याचिका पर आज सुनवाई के दौरान कहा कि अगर कोई ऑक्सीजन की आपूर्ति में बाधा डालता है तो “हम उस आदमी को फांसी देंगे”। अदालत ने COVID-19 मामलों में भारी उछाल को “सुनामी” करार दिया।
मालूम हो कि पिछले कुछ दिनों में बड़े और छोटे कई अस्पतालों द्वारा ऑक्सीजन की कमी का मुद्दा दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष उठाया गया है। ऑक्सीजन की कमी कोविड रोगियों की मौत का कारण बन रही है। हाल के सप्ताहों में कोविड के मामलों में वृद्धि देखी गई है। सोशल मीडिया उन हताश लोगों की कहानियों से भरा है जो अपने दोस्तों और परिवार के लिए ऑक्सीजन या अस्पताल का बिस्तर खोजने की कोशिश कर रहे हैं।