ग्वालियर। कोरोना संक्रमण के चलते मचे हाहाकार के बीच मध्य प्रदेश में ग्वालियर का सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल लगातार नए कारनामे कर रहा है। एक दिन पहले अस्पताल पर कोविड संक्रमित मरीज की आंखें निकालने का आरोप लगने के बाद शनिवार को एक और बड़ी लापरवाही सामने आई। कोविड संक्रमित की मौत के बाद उसके परिजन को दूसरे का शव दे दिया गया। परिजनों ने श्मशान में अंत्येष्टि के लिए अर्थी पर संस्कार भी पूरे कर दिए। मुखाग्नि से पहले जब बेटे ने चेहरा देखने के लिए कपड़ा हटाया तो अवाक रह गया। शव उसके पिता का नहीं, किसी और का था।

शनिवार को मामले की सच्चाई पता चलते ही परिजनों ने अस्पताल में हंगामा कर दिया। वे शव वापस लेकर अस्पताल पहुंचे और प्रबंधन को पूरी बात बताई। दो घंटे बाद परिजनों को असली शव दिया गया।

समाधिया कॉलोनी में रहने वाले 62 वर्षीय छोटे लाल कुशवाह बीएसएनएल से रिटायर्ड थे। कोरोना संक्रमित होने पर चार दिन पहले वे सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे। इलाज के दौरान शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात 1:30 बजे उनकी मौत हो गई। आशंका है कि जयारोग्य अस्पताल में शुक्रवार रात ऑक्सीजन न मिलने से मौत हुई है।

परिजन जब अस्पताल पहुंचे तो सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल से उनको पिता के नाम पर एक शव दे दिया गया। परिजन को जो शव दिया गया, वह पूरी तरह पैक था। बाहर पिता के नाम की चिट लगी थी। परिजन शव लेकर मुक्तिधाम पहुंच गए। नगर निगम का अमला भी पहुंच गया। यहां शव को उतारकर अर्थी पर रख लिया। सारे संस्कार बाहर से ही कर दिए, लेकिन मृतक के बेटे का मन नहीं माना, मुखाग्नि से पहले आखिरी बार पिता के चेहरा देखने की जिद की। जब मृतक का चेहरा खोला तो बैग में रखे शव को देख बेटे ने कहा कि यह उनके पिता का नहीं है।

अस्पताल से परिजनों को गलत शव दे दिया गया। परिजन अंतिम संस्कार रोकते हुए तत्काल अस्पताल वापस पहुंचे। उन्होंने वहां मौजूद डॉक्टर और प्रशासनिक अधिकारियों को शिकायत की। इसे सुनकर डॉक्टर और अधिकारियों में हड़कंप मच गया और तत्काल छोटेलाल के शव की तलाश की गई। 2 घंटे बाद उन्हें शव मिल गया। परिजन को अंतिम संस्कार के लिए शव सुपुर्द किया गया।

इस पूरे मामले पर तहसीलदार कुलदीप कुमार का कहना है, मृतक का चेहरा दिखाकर ही शव परिजन को दिया जाता है। ऐसे में कहां चूक हुई है, जांच का विषय है।