नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण को लेकर इस समय देश में कोहराम मचा हुआ है। अस्पताल भरे हुए हैं और लोगों को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि पांच में से चार मामले ऐसे हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत ही नहीं है। थोड़ी सी सतर्कता बरती जाए तो घर पर रहते हुए ही कोरोना संक्रमण को मात दे सकते हैं। सूखी खांसी, गले में खराश, बुखार व नाक बहना कोविड-19 के प्रारंभिक लक्षण हैं। कुछ मरीजों को स्वाद व गंध का अनुभव नहीं होता तथा सिर व बदन में दर्द रहता है। सांस लेने में परेशानी होती है और ऑक्सीजन सेचुरेशन में गिरावट आ जाती है। छाती में दर्द, भूख न लगना, दस्त, थकान व कमजोरी आदि भी इसके लक्षणों में शामिल हैं। कोरोना वायरस के फैलने के बाद पांच दिनों में न्यूमोनिया और 7-12 दिनों में सीवियर हाइपोक्सीमिया का खतरा पैदा हो जाता है। ऐसे में मरीज को आइसीयू में भर्ती करना पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि मरीज की सेहत पर पैनी नजर रखें।
जब लक्षण दिखें तो क्या करें
खुद को तत्काल हवादार कमरे में आइसोलेट कर लें। अगर आप आइसोलेशन में देरी करेंगे तो दूसरों के संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाएगी। जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो शरीर के तापमान और ऑक्सीजन के स्तर की निगरानी करते रहें। इसके बारे में जिला सर्विलांस अधिकारी को बताते रहें। अपने मोबाइल में आरोग्य सेतु एप भी डाउनलोड कर लें। घरवालों से कम से कम छह फीट की दूरी बनाए रखें और ग्लास, थाली, तौलिया व मोबाइल फोन आदि साझा न करें।
ऐसे करें ऑक्सीजन की जांच
डॉक्टर छह मिनट टहलने के बाद ऑक्सीजन जांच की सलाह देते हैं। यानी, ऑक्सीजन की जांच करें। छह मिनट टहलें और फिर ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन की जांच करें। अगर ऑक्सीजन के स्तर में छह प्वाइंट से ज्यादा की गिरावट आती है तो चिकित्सकीय मदद लें। हर चार घंटे के अंतराल पर शरीर के तापमान व ऑक्सीजन के स्तर की जांच करते रहें।
कब खत्म करें क्वारंटाइन
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, लक्षणों के सामने आने के 10 दिनों बाद अगर कम से कम तीन दिनों से बुखार नहीं आ रहा हो। इसके बाद भी सात दिनों तक खुद को घर में आइसोलेशन में रखें और निगरानी करते रहें।
ठीक होने के बाद
कोरोना संक्रमण से पूरी तरह ठीक होने के बाद श्वसन तंत्र को मजबूत करने व रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने के लिए नियमित व्यायाम करें। पोषण युक्त खानपान पर ध्यान दें। खांसी, सिर दर्द, डायरिया, भूख न लगना व सांस लेने में दिक्कत जैसे कोविड के दीर्घकालिक लक्षणों पर नजर रखें।
क्वारंटाइन बनाम आइसोलेशन
आइसोलेशन का मतलब है कोविड मरीज को लोगों से दूर रखना, चाहे वह घर में हो या अस्पताल में। क्वारंटाइन में मरीज को लोगों के करीबी संपर्क से दूर रखा जाता है जब तक कि उसकी रिपोर्ट निगेटिव न आ जाए।
खुद को घर में आइसोलेट कर सकते हैं, बशर्ते…
-हल्के या प्रारंभिक लक्षण सामने आए हों या लक्षण ही न दिखें
-घर में मरीज के लिए अलग से कमरा उपलब्ध हो
-कोई 24 घंटे देखभाल के लिए उपलब्ध हो या किसी अस्पताल से कोविड होमकेयर पैकेज ले रखा हो
-डॉक्टर की सलाह पर 60 से ज्यादा उम्र वाले व जिन्हें हाइपर टेंशन, डायबिटीज, दिल, किडनी या लीवर की बीमारी हो वे घर में आइसोलेट हो सकते हैं
होम क्वारंटाइन के लिए आवश्यक चीजें
-14 दिनों के लिए खाना व साफ-सफाई के सामान की व्यवस्था कर लें
-30 दिनों के लिए सर्दी-खांसी जैसी सामान्य बीमारियों की दवाएं उपलब्ध हों
-हैंड सैनिटाइजर, ऑक्सीमीटर, थर्मोमीटर आदि उपलब्ध हों
-मरीज को हर छह से आठ घंटे पर सर्जिकल मास्क बदलना होगा
-डिस्पोजेबल प्लेट, कटोरा व अन्य बर्तन उपलब्ध हों
-सतह को संक्रमण मुक्त करने के लिए स्प्रे उपलब्ध हो
अगर आप मरीज की देखभाल कर रहे हों
-मरीज के कपड़े व अन्य सामान को उठाने से पहले सर्जिकल ग्लव्स पहनें
-डबल मास्क का इस्तेमाल करें, मास्क व ग्लव्स आदि को ब्लीच (पांच फीसद) अथवा सोडियम हाइपोक्लोराइट (एक फीसद) के घोल से सैनिटाइज करने के बाद पीले रंग के कचरे की थैली में रखें।
-ग्लव्स उतारने के बाद अच्छी तरह हाथ धो लें। मरीज के कमरे में हों तो खिड़कियां आदि खुली रखें
बेवजह ऑक्सीजन सिलेंडर जमा न करें
सिर्फ 10-15 फीसद लोगों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत होती है। इसलिए, एडवांस में खरीदकर न रखें। अगर डॉक्टर ऑक्सीजन सपोर्ट की संस्तुति करते हैं तो ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर खरीद लें। यह मशीन कमरे से हवा लेकर ऑक्सीजन व कार्बन डाइ ऑक्साइड को अलग-अलग कर सकती है।