नई दिल्ली। कोरोना से मुकाबला करने में मोदी सरकार धड़ाम हो गई है। ऐसा कहा है कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने। उन्हें लगता है कि संकट से निपटने में लापरवाही की हद की गई है। और, जनता को राम भरोसे छोड़ दिया गया है। इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक लंबे इंटरव्यू में श्रीमती गांधी ने सरकार पर आरोप भी लगाया कि संकट का सीना तान कर मुकाबला करने की जगह उसका फोकस विधानसभा चुनाव पर रहा है। आज भी उसके फैसले मनमाने और पक्षपातपूर्ण होते हैं। उसका कपट अक्षम्य है।

अगर सरकार कांग्रेस से मदद और सलाह की गुजारिश करे तो? क्या आप उनके साथ बैठकर मंथन करना पसंद करेंगी? इस सवाल पर श्रीमती गांधी का जवाब था, “बिलकुल। हां।”…इसीलिए तो कांग्रेस के नेता ठोस सलाह और मदद की पेशकश करते आए हैं। कांग्रेस के पास सरकार चलाने और आपदा प्रबंधन का सालों का अनुभव है।

उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह, राहुल और मैंने खुद सरकार के पास सुविचारित सुझाव दिए थे। लेकिन, जिस अपमानकारी ढंग से उन्हें खारिज किया गया, उससे दुख हुआ। कांग्रेस नेता ने सवाल पूछा कि महामारी की सुनामी के बीच जिस तरह मोदी जी विपक्षी नेताओं पर हमला करते हैं, विपक्ष शासित प्रदेशों की खामियां निकालते हैं वह उचित है? यह वक्त तो पक्ष और विपक्ष के साथ बैठकर काम करने का था।
राहुल के स्वास्थ्य के बारे में पूछने पर श्रीमती गांधी ने ‘बेहतर हो रहे हैं’ कहा और जवाब को मनमोहन सिंह और जनता की ओर मोड़ ले गईं। बोलींः हमे मनमोहन जी और तमाम भारत वासियों की चिंता है।

इस इमरजेंसी का वक्त में कांग्रेस के रोल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हम दो तरह से काम कर रहे हैं। पहला हम जनता की परेशानियों को सरकार तक इस तरह प्रेषित कर रहे हैं कि उस पर काम करने का दबाव बने। अभी भी त्वरित कार्रवाई हो तो लाखों जानें बचाई जा सकती हैं। दूसरे हमने अपने वर्करों, खासतौर पर यूथ कांग्रेस वर्करों को जनता की सेवा में लगा रखा है। ये युवा परेशान लोगों को अस्पताल, बेड, ऑक्सीजन आदि चीजें मुहैया कराने में लगे हैं।

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सरकार ने अपनी जिम्मेदारी त्याग रखी हैं। संकट से कैसे निपटना है, इसकी न तो तैयारी है न कोई रणनीति। सीरो-सर्वे (ब्लड सर्वे) तो सरकारी एजेंसियों ने ही किया था। सर्वे में कोरोना की दूसरी लहर की चेतावनी मिली थी। कोविड पर बनी संसदीय कमेटी ने 120 पेज की रिपोर्ट बनाई थी। इसमें बताया गया था कि सरकार को क्या करना चाहिए। कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों ने लगातार आगाह किया था। लेकिन सबको खारिज कर दिया गया। यह आरोप अलबत्ता लगा दिया गया कि हम खौफ फैला रहे हैं।

एक सवाल पर श्रीमती गांधी ने कोरोना संकट से निपटने के लिए आठ सूत्रों का सुझाव दिया।

पहलाः सारे संसाधन जुटा कर देश भर मरीजों के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था की जाए।

दूसराः सरकार और उद्योगजगत मिल कर मरीजों के लिए अस्थायी अस्पताल और बेड की व्यवस्था करे। यह काम युद्धस्तर पर होना चाहिए।

तीसराः टेस्टिंग सुविधाएं तेजी से बढ़ाई जाएं। सत्य को छिपाने से महामारी को जीत नहीं सकते।

चौथाः आवश्यक दवाओं और ऑक्सीजन जैसी चीजों की कालाबाजारी करने वालों पर तुरंत सख्त कार्रवाई हो।

पांचवाः डाक्टरों, नर्सों, पैरामेडिक स्टाफ और कोरोना से लड़ने वाले कर्मचारियों को वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाए।

छठाः प्रवासी मजदूरों को उनके गांव घर जाने के लिए ट्रेन या अन्य सुरक्षित साधन मुहैया कराए जाएं। और, गांव में इनके लिए मनरेगा की तहत काम मिले।

सातवाः प्रत्येक परिवार को छह हजार रुपए नकद की मदद अविलंब की जाए।

आठवाः सेंट्रल विस्टा जैसे अनावश्यक प्रोजेक्टों का पैसा कोरोना से लड़ने में लगाया जाए।