वॉशिंगटन। स्पेस ट्रेवेल जब आसान हो जाएगा तो लोग चांद और पृथ्वी के बीच आसानी से आ जा सकेंगे। लेकिन आप चांद पर जाएं उससे पहले ही चांद हमारे पास आ रहा है। आज रात को चांद पृथ्वी चकाचौंध कर देने वाली रोशनी बिखेरेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि ये साल 2022 के सबसे बड़े सुपरमून की रात है। भारत में रहने वालों को इसका नजारा लेने के लिए देर रात जानगा पड़ेगा। 2022 का सबसे बड़ा सुपरमून गुरुवार की सुबह 12ः08 AM पर दिखाई देगा।

हर साल 12 पूर्णिमा की रात होती है, जब चांद पर सूर्य का पूरा प्रकाश पड़ रहा होता है। लेकिन 13 जुलाई की पूर्णिमा के साथ इस साल के चार सुपरमून में से एक भी दिखाई देगा। सुपरमून के दौरान चांद और पृथ्वी के बीच की दूरी सबसे ज्यादा कम हो जाएगी। इस दौरान पृथ्वी और चांद के बीच की दूरी 357,264 किमी होगी। नासा के मुताबिक सुपरमून शब्द 1979 में एक एस्ट्रोलॉजर रिचर्ड नोल ने दिया था।

इस दौरान पूर्णिमा भी होगी। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि ये सिर्फ कुछ क्षण के लिए ही होता है। लेकिन इसके बाद भी अगले दो से तीन दिन तक पूर्णिमा के चांद की तरह ही दिखने वाले चंद्रमा को देखा जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि चांद पृथ्वी के करीब ही होगा तो आकार में बड़ा दिखाई देगा। वहीं, सूर्य का प्रकाश चांद के ज्यादातर हिस्से पर पड़ेगा, सिर्फ एक छोटी सी स्ट्रिप चांद पर परछाई को बनाएगी। ये इतनी पतली होगी कि सामान्य तौर पर नहीं दिखाई देगी। इस कारण ये बता पाना मुश्किल होगा कि चांद का कौन सा हिस्सा काला हो रहा है।

आपने बचपन में पढ़ा होगा कि चांद पृथ्वी का गोल चक्कर लगाता है। ये बात सही भी है, लेकिन इसमें एक टेक्निक पेंच है। वह ये कि ये चक्कर पृथ्वी को केंद्र बिंदु मान कर नहीं लगाता। जब चांज पृथ्वी का चक्कर लगाता है तो उसकी दूरी भी बदलती रहती है। हर महीने में पृथ्वी और चांद के बीच सबसे नजदीक और सबसे दूर की दूरी अलग-अलग होती है। चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की औसत दूरी 382,900 किलोमीटर है। वैज्ञानिकों का मानना है कि चांद की दूरी बदलने का कारण गुरुत्वाकर्षण है। इसके पास और दूर होने भर से ज्वार और भाटा में बदलाव दिखाई देते हैं।