नई दिल्ली. भारत का केंद्रीय बैंक आरबीआइ रुपये की गिरावट को थामने के लिए 100 अरब डॉलर की रकम और खर्च कर सकता है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, आरबीआइ अपने विदेशी मुद्रा भंडार का छठा हिस्सा बेचने के लिए तैयार है, ताकि हाल के हफ्तों में रुपये में हो रही तेज गिरावट से बचा जा सके। 2022 में रुपया अपने कुल मूल्य से 7 फीसद से अधिक गिर गया है। मंगलवार को रुपया 80 प्रति अमेरिकी डॉलर के मनोवैज्ञानिक स्तर तक नीचे आ गया। माना जा रहा है कि अगर भारतीय रिजर्व बैंक ने जरूरी कदम नहीं उठाए होते तो यह गिरावट कहीं अधिक होती।
आरबीआइ का मुद्रा भंडार जो सितंबर की शुरुआत में 642.450 अरब डॉलर था, इसमें अब तक 60 अरब डॉलर से अधिक की गिरावट आई है। यह कमी कुछ हद तक मूल्यांकन पद्धति में बदलाव के कारण, लेकिन बड़े पैमाने पर रुपये की बड़ी गिरावट को रोकने के लिए की गई डॉलर की बिक्री के कारण हुई है। लेकिन इस कमी के बावजूद, आरबीआइ के पास 580 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है, जो दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा है। इस विशाल फॉरेन रिजर्व के चलते ही आरबीआइ रुपये में आने वाली तेज गिरावट को रोकने के लिए अधिक तैयार और सक्षम है। आरबीआइ के एक सूत्र ने रायटर्स से कहा कि आरबीआइ रुपये को गिरावट से बचाने के लिए जरूरत पड़ने पर 100 अरब डॉलर और भी खर्च कर सकता है। हालांकि आरबीआइ अपने घोषित रुख के अनुसार, रुपये की गिरावट को रोकने या इसे एक निश्चित स्तर पर रखने की कोशिश नहीं करता है, लेकिन किसी भी जबरदस्त गिरावट या मूल्यह्रास से बचने के लिए आरबीआइ जरूर काम करेगा।
बता दें कि रुपये की हो रही गिरावट वैश्विक परिस्थितियों का परिणाम है। फेडरल रिजर्व द्वारा लागू की गईं सख्त और आक्रामक मौद्रिक नीतियों की आशंका से अमेरिकी डॉलर की मांग मजबूत हुई है। इससे निवेशकों द्वारा डॉलर के मुकाबले ज्यादातर करेंसी की बिकवाली की जा रही है। उधर भारत का व्यापार और चालू खाता घाटा भी बढ़ रहा है, क्योंकि रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि हुई है, विशेष रूप से तेल का, जो भारत के आयात बिल का एक बड़ा हिस्सा है।