नई दिल्ली. कोई व्यक्ति होम लोन का प्री-पेमेंट क्यों करना चाहता है? हम पहले ही हर महीने मासिक किस्त यानी EMI का भुगतान कर रहे होते हैं। अब हमें EMI के अलावा हर महीने कुछ ज्यादा रकम का भुगतान क्यों करना चाहिए? यहां तक कि लेंडर्स भी प्री-पेमेंट को हतोत्साहित करते हैं। ऐसे में इस अतिरिक्त खर्च को किस तरह उचित ठहराया जा सकता है?
जब लेंडर आपके नाम पर होम लोन सैंक्शन करता है तो उसके बाद एक ड्यू डेट पर हर महीने आपके अकाउंट से एक निश्चित रकम कट जाती है। EMI का एक बड़ा हिस्सा बकाया मूलधन पर लगने वाले ब्याज के रूप में जाता है। वहीं, बाकी हिस्से से वास्तविक लोन यानी मूलधन का भुगतान होता है।
आप जब स्वैच्छिक तौर पर अपनी EMI से ज्यादा रकम का भुगतान करते हैं तो उसे प्री-पेमेंट कहते हैं। चूंकि आप उस महीने की EMI का भुगतान पहले ही कर चुके होते हैं, प्री-पेमेंट की पूरी रकम आपके मूलधन में से घटा दी जाती है। इससे आपके मूलधन की रकम कम हो जाती है और इस वजह से आपकी ब्याज की राशि घट जाती है। इससे आपका होम लोन जल्दी खत्म हो जाता है।
प्रीपेमेंट से आपको लोन एग्रीमेंट में लिखी गई लोन की अवधि से पहले लोन के भुगतान में मदद मिलती है। इससे आपके हर महीने का एक तय खर्च कम हो जाता है और अपनी वित्तीय देनदारी को इसके अनुसार एडजस्ट कर पाते हैं।
चूंकि प्री-पेमेंट की रकम मूलधन में से घटा दी जाती है। ऐसे में अगली बार आपको घटी हुई मूलधन पर ब्याज देना होता है। इससे ब्याज के रूप में जाने वाली आपकी लाखों रुपये की रकम बच जाती है।
मान लीजिए कि मनोज ने 10 फीसदी सालाना की ब्याज दर पर 20 साल के लिए 10 लाख रुपये का लोन लिया है। ऐसे में उसे हर महीने EMI के रूप में 9,650 रुपये का भुगतान करना होगा।
पहली स्थितिः अगर आप पूरी अवधि तक नियमित तौर पर EMI का भुगतान करते हैं तो लोन की पूरी अवधि के दौरान आपको कुल 23,16,052 रुपये का भुगतान करना होगा। इसमें से आधा से भी ज्यादा रकम यानी 13,16,052 रुपये का भुगतान ब्याज के रूप में किया जाएगा।
दूसरी स्थितिः अगर आप 9,650 रुपये की EMI से इतर हर महीने 2,000 रुपये का रेग्युलेर प्री-पेमेंट करते हैं तो आपका लोन 12 साल और 8 महीने में खत्म हो जाएगा। इससे आपके 88 महीने की EMI की बचत होगी। अगर इसे ब्याज के भुगतान के संदर्भ में देखा जाए तो कहा जा सकता है कि आप 5,52,394 रुपये के ब्याज की बचत कर पाएंगे।
इस तरह प्रीपेमेंट जो कुछ समय के लिए एक तरह का वित्तीय बोझ लगता है, वास्तव में एक स्मार्ट फैसला होता है और लंबी अवधि में ये आपको वित्तीय के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक फायदा भी देता है। चूंकि बड़ी रकम इकट्ठा करना मुश्किल काम होता है और अक्सर ये रकम बड़े खर्चे के रूप में यूज हो जाता है। ऐसे में जब भी संभव हो, थोड़ा-थोड़ा लेकिन नियमित प्री-पेमेंट करना चाहिए। यह एक बेहतर विचार है।
हर महीने प्री-पेमेंट करना चैलेंजिंग काम साबित हो सकता है क्योंकि किसी भी अन्य काम में व्यस्तता के चलते अतिरिक्त भुगतान करने का काम अक्सर मिस हो जाता है। कुछ लेंडर्स EMI की तरह ऑटो-रिपेमेंट का ऑप्शन देते हैं। इस ऑप्शन के तहत आपके द्वारा चुनी गई रकम हर महीने प्रीपेमेंट के रूप में आपके बैंक अकाउंट से कट जाती है। ऑटो प्री-पे किसी भी बॉरोअर के लिए एक सुपरपावर की तरह काम करता है क्योंकि इससे आपका काम आसान हो जाता है। साथ ही यह सुनिश्चित होता है कि आपको प्री-पेमेंट के सभी बेनिफिट्स भी मिल जाए।