गोरखपुर। तस्करी का सोना समझ पिंटू ने घटना को अंजाम दिया और पुलिस की गिरफ्त में आ गया। गोरखपुर के आजाद चौक के आभूषण प्रतिष्ठान स्वर्णिमा ट्रेडर्स के कर्मचारी कमलेश यादव वर्धमान में सोने के आभूषण लेकर जिस बस में सवार हुआ था, वह पिंटू सिंह की थी। कुछ दूर आगे आने पर वह इसमें साथियों के साथ सवार हुआ। शराब की खोज में उसने तलाशी ली तो कमलेश के पास बड़ी मात्रा में सोने के आभूषण मिले।

तस्कर कोलकाता के रास्ते बिहार व यूपी तक सोने की खेप ले जाते हैं। यह जानकारी पिंटू को थी। उसने कमलेश के पास आभूषण को तस्करी का समझ लिया। फिर साथियों के साथ हड़पने व उसके मालिक से फिरौती वसूलने की साजिश रची। यहीं वह गच्चा खा गया। कमलेश के पास आभूषण वैध थे। बिक्री के लिए आभूषण को कोलकाता भेजने के लिए उसके पासवैध कागजात थे। प्रतिष्ठान के मालिक चुपचाप नहीं बैठे और पुलिस अधिकारियों के पीछे दौड़ लगाते रहे। प्रतिष्ठान के मालिक का यूपी के सत्तारूढ़ दल से निकट संबंध होने के कारण भी पुलिस पर भारी दबाव था। अंतत: पिंटू की कलई खुली और वह पुलिस की गिरफ्त में आ गया।

लूट में शामिल पिंटू के साथियों की पहचान भी पुलिस कर रही है। पूछताछ में पिंटू ने पांच में से तीन साथियों के नाम, मोबाइल नंबर व फोटो पुलिस को दिए हैं। पुलिस पिंटू की संपत्ति की जांच कराने की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। उसके करीबी व उसके सिंडिकेट से जुड़े लोगों की संपत्ति व आय के स्रोतों की जानकारी जुटाई जा रही है।

पिंटू के विरुद्ध दो प्राथमिकी दर्ज की गई है। पहली प्राथमिकी कमलेश यादव ने मीनापुर थाने के पानापुर ओपी में दर्ज कराई। इसमें उसने अज्ञात को आरोपित किया था। इस प्राथमिकी में उसने 3993.740 ग्राम सोना लूटने का आरोप लगाया था। दूसरी प्राथमिकी सदर थानाध्यक्ष सत्येंद्र कुमार मिश्रा के बयान पर दर्ज की गई है। इसमें उसके गोबरसही स्थित फ्लैट में छापेमारी में लूट का सोना, फिरौती के पांच लाख रुपये, रायफल व कारतूस बरामदगी की बात है। पिंटू को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।

पिंटू के आपराधिक इतिहास को खंगाला जा रहा है। उसे सोना लूट व फिरौती वसूलने में न्यायिक रिमांड पर लिया जाएगा। – रामनरेश पासवान, नगर पुलिस उपाधीक्षक।