रांची. जब किसी का लक्ष्य आसमान से भी ऊंचा होता है, तो वह नीचे गिरने से कभी नहीं डरता. कुछ ऐसा ही लक्ष्य रखा था झारखंड की श्रुति राज लक्ष्मी ने. जिन्होंने आईएएस की परीक्षा तो निकली ही, लेकिन अपनी 31.5 लाख की नौकरी भी त्याग दी. उनकी यह कहानी हर उस उम्मीदवार को प्रेरणा देगी, जिसके मन में आईएएस (IAS) बनने का एक सपना होता है.

श्रुति ने अपनी स्नातक की पढ़ाई बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से पूरी की है. जहां पर उन्होंने कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया. यह अपने आप में एक बड़ी उपाधि होती लेकिन श्रुति के सपने काफी बड़े थे. उन्होंने अपनी 31.5 लाख की नौकरी को छोड़ कर आईएएस की तैयारी शुरू कर दी. इसके साथ ही उन्होंने एक भी जगह कोचिंग नहीं ली. लक्ष्य कठिन था लेकिन श्रुति के मन में निर्णय बन चुका था.

श्रुति ने अपने पहले अटेम्प्ट में प्रीलिम्स की परीक्षा भी क्लियर नहीं की. जिसके बाद वह निराश नहीं हुई और ना ही अपने लक्ष्य से डगमगाईं. उन्होंने फिर से बिना किसी कोचिंग के प्रयास किया और ​यूपीएससी की परीक्षा में 25 वा स्थान पाया. अंत: उन्होंने अपना सपना पूरा किया और ये दिखा दिया कि अगर आपके हौसले में दम हो, तो फिर कोई भी लक्ष्य नामुमकिन नहीं होता.

श्रुति का कहना है कि अगर उम्मीदवार को लगे कि उनका खुद पर नियंत्रण नहीं है, तो ऐसे में वह मोबाइल से दूरी बनाए रखें. उन्होंने बताया कि एक टॉपिक को पढ़ने के बाद समय-समय पर रिवीजन करते रहें. श्रुति ने कहा कि उम्मीदवार अधिक किताबों के पीछे ना भागें और समय-समय पर टेस्ट सीरीज के जरिए अपनी तैयारी का आकलन करते रहें.