मेरठ: कोरोना के बाद अब मंकीपॉक्स की दहशत से हड़कंप मचा हुआ है। सबसे पहला मरीज केरल में पाया गया था। जिसके बाद अब इसके पांव दिल्ली तक पहुंच गए हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने इसको लेकर पूरी तैयारियां कर ली है, लेकिन नए वायरस से आम जनता में दहशत जरूर नजर आ रही है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मंकीपॉक्स की जांच पूरे देश में केवल एक जगह हो रही है।
अब मरीजों में लक्षण पाए जानें के बाद उनके सैंपलों को पूणे भेजा जाता है। जिसके बाद वहां से तीन से चार दिन में रिपोर्ट आती है। तब तक मरीज को आइसोलेट किय जाएगा जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने पूरी तरह तैयार है। जिले में मंकीपॉक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस ली है।
स्वास्थ्य विभाग ने सभी जगह अपनी सर्विलांस टीम को एक्टिव कर दिया है। कहीं पर भी यदि मंकीपॉक्स के लक्षण मिलते है तो उस मरीज को आइसोलेट करने की व्यवस्था है। मेडिकल में 20 बेडों का आइसोलेशन वार्ड है जहां पर मंकीपॉक्स के मरीजों को भी रखने की व्यवस्था है। इसी तरह जिला अस्पताल में भी अलग से आइसोलेशन वार्ड तैयार किया गया है। जिसमें मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए अलग से बेड सुरक्षित रखे गए है।
प्यारेलाल जिला अस्पताल के सुप्रिटेंडेंट डा. कौशलेन्द्र ने बताया मंकीपॉक्स को लेकर उन्होंने जिला अस्पताल में तैयारी कराई है। सभी स्टाफ की मीटिंग बुलाई जा रही है। जिसके बाद ऐसे मरीजों को जिनमें मंकीपॉक्स के लक्षण नजर आएंगे उन्हें किस तरह का इलाज देना है इसको लेकर जानकारी दी जाएगी। बुखार, ज्यादा कमजोरी, मुंह व हाथों पर दानें निकलना इस तरह के लक्षण वाले मरीजों को तुरंत आइसोलेट किया जाएगा।
मरीज अगर अपने घर पर रहकर इलाज कराना चाहे तो उसे घर पर ही रखा जाएगा, लेकिन जिला अस्पताल में भी तैयारी की गई है। जिला अस्पताल में अभी सैंपल लेने की गाइडलाइन नहीं आई है, जिस तरह भी सीएमओ द्वारा दिशानिर्देश दिए जाएंगे उसी तरह सैंपल लेने के बाद आगे भेजे जाएंगे। अभी जो आदेश है उनके मुताबिक सैंपलों को पूणे भेजा जाएगा, जहां पीसीआर टेस्ट हो रहे है। अगर जरूरत होगी तो यहां पर भी टेस्टिंग की व्यवस्था की जाएगी। अभी ज्यादा केस सामने नहीं आ रहे हैं, जो राहत की बात है।
वायरल डिजिज के नोडल अधिकारी डा. अशोक तालियान ने बताया स्वास्थ्य विभाग ने पूरे जिले में सर्विलांस टीमों को अलर्ट कर दिया है। यदि कहीं से भी ऐसा कोई मरीज सामने आता है जिसमें लक्षण मिलते हैं तो उसे आइसोलेट किया जाएगा। उसके बाद मरीज का सैंपल लेकर एनआईए पूणे जांच के लिए भेजा जाएगा। मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव होने पर उसका इलाज मंकीपॉक्स के लिए किया जाएगा।
मंकीपॉक्स का इलाज कोई विशेष नहीं है, जिस तरह चिकिन पॉक्स का इलाज किया जाता है उसी तरह इसका भी इलाज होगा। क्योंकि मंकीपॉक्स भी एक वायरल बीमारी है। इसलिए इसके इलाज में समय लगता है। इलाज शुरू होने पर जैसे-जैसे मरीज रिकवरी करता है उसे राहत मिलती रहती है। लेकिन जबतक मरीज का इलाज चलता है तबतक उसे आईसोलेशन में ही रखा जाता है, लक्षणों पर आधारित इलाज है।
नगर पशुचिकित्सा/ नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. हरपाल सिंह का कहना है अभी कांवड़ को लेकर साफ-सफाई व्यवस्था पर ज्यादा जोर है। शिवरात्रि तक यह सिलसिला जारी है। मंकीपॉक्स को लेकर कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा जो भी गइडलाइन आएंगी उनका पालन किया जाएगा। मंकीपॉक्स भी एक वायरल बीमारी है, यह चिकिनपॉक्स की तरह ही फैलता है।
देखते है इसको लेकर क्या कदम उठाए जा सकते है, मरीजों को रखने के लिए सीएमओं द्वारा तैयारी की गई है। नगर-निगम का काम है साफ-सफाई की व्यवस्था को सुचारू रूप से व्यवस्थित करना, इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग काम कर रहा है। दवाइयोंंं का छिड़काव कराना, एंटी लार्वा का छिड़काव कराना, फोगिंग कराना, नाले-नालियों की सफाई कराने जैसे सभी कार्य हमारे द्वारा किए जा रहे हैं।