नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर बने रहने के चलन और बार बार ब्लॉक अनब्लॉक होने वाली दुनिया का असर अब लोगों के इमोशन्स पर भी नजर आने लगा है. अक्सर मूड भी एक बटन तरह ही हो गया है. जो पता नहीं कब लॉग इन कर ले कब लॉग आउट हो जाए. या, फिर आपकी हंसी को ब्लॉक कर दे. ठीक वैसे ही जैसे कुछ लोगों को बेवजह किसी को भी ब्लॉक करने की आदत हो जाती है. ये बात तब ज्यादा खटकती है, जब आपको उनसे जरूरी काम हो और वो आपको ब्लॉक कर दें. इसकी वजह सोचते रहने के सिवा आपके पास कोई रास्ता नहीं बचता. ऐसे में ये सवाल जरूर होता है कि आखिर आप ब्लॉक किए क्यों गए हैं. इसके कई कारण हो सकते हैं.
हो सकता है जिससे आप बात करना चाहते हैं वो आपसे किसी बात पर नाराज हो. इसलिए आपको ब्लॉक कर दें. ये आदत तब मुश्किल खड़ी कर देती है. जब नाराजगी में सामने वाला बार बार आपको ब्लॉक अनब्लॉक करता रहे.
जब कोई आपसे इनसिक्योर फील करता है तब भी ब्लॉक कर सकता है. इस डर से कि कहीं आपसे बात करने से उसका कोई नुकसान न हो जाए. ये असुरक्षा का भाव ब्लॉक अनब्लॉक की प्रक्रिया से थोड़ा सहज महसूस कर सकता है.
जब किसी को ये अहसास करवाना हो कि आप उसके लिए कितने गैर जरूरी हैं या बिलकुल अहमियत नहीं रखते. तब आपको ब्लॉक किया जा सकता है. कई बार बिना कहे किसी को बेइज्जत करने के लिए लोग अक्सर यही तरीके चुनते हैं.
अक्सर जुबानी लड़ाई और तर्क वितर्क में हार का खतरा होता है. ऐसे मे लोग खुद को सही साबित करने के लिए तथ्यों से बचने की कोशिश करते हैं. और आपको ब्लॉक करने का सहारा ले लेते हैं.
ब्लॉक करने की आदत उस वक्त खतरनाक हो सकती है जब लोग कुछ छिपाने की कोशिश करें. ऐसे में हो सकता है कि वो किसी परेशानी के शिकार हों या किसी मुश्किल में हों. जिसे वो किसी हाल में दूसरों के सामने जाहिर नहीं करना चाहते. तब वो दूसरों को ब्लॉक कर देते हैं. ऐसे लोगों की ब्लॉक करने की आदत उन्हें डिप्रेशन तक ले जा सकती है.