नई दिल्ली। आज के जमाने में लगभग हर एक काम हम ऑनलाईन ही करते है। शॉपिंग करने से लेकर बिजली का बिल भरने और रिचार्ज करने सब ऑनलाइन ही हो जाता है। इन सब चीजों का भुगतान भी हम ऑनलाईन ही करते है। और ऑनलाइन भुगतान करने के लिए हमे बैंक अकाउंट की जरूरत होती है। हम सभी पैसों का लेन देन बैंक खाते के माध्यम से ही करते है साथ ही हम अपनी कमाई का कुछ हिस्सा भी बैंक खाते में बचा कर रखते है। वैसे आपने कभी सोचा है कि जब कोई गुजर जाता है तो उसके बाद उसके बैंक खाते का क्या होता है।उसके खाते का सारा पैसा किसको मिलता है। खाताधारक के गुजर जाने के बाद उसके पैसे को ट्रांसफर करने के लिए बैंक ने तीन नियम बनाए है। जिन नियमो को जानना बेहद ही जरूरी है।
जब भी व्यक्ति का खाता खुलवाया जाता है तो उससे खाता खुलवाते समय एक नॉमिनी फॉर्म भरवाया जाता है। उसके गुजर जाने के बाद सारा पैसा उस नॉमिनी को दिया जाता है। यह फॉर्म इसलिए भरवाया जाता है कि ताकि दूसरा व्यक्ति उसके साथ धोखाधड़ी ना करें। उसके खाते के साथ कोई छेड़छाड़ ना करें। भारत में लगभग हर बैंक में यह नियम है।
यदि आपको ज्वाइंट अकाउंट है। कोई व्यक्ति अपनी पत्नी, बच्चों या किसी दोस्त के साथ ज्वाइंट अकाउंट खोलता है, तो उस स्थिति में किसी एक खाताधारक के गुजर जाने के बाद दूसरे खाताधारक को अकाउंट में जमा किया हुआ पैसा आसानी से मिल जाता है। इसके लिए ज्वाइंट अकाउंट में मौजूद दूसरे व्यक्ति को मृतक व्यक्ति से सम्बंधित मृत्यु प्रमाण पत्र की एक कॉपी बैंक की ब्रांच में जमा करनी होती है, जिसके बाद उस अकाउंट से मृतक व्यक्ति का नाम हटा दिया जाता है।
ज्यादातर पुरानी खाताधारक का कोई नॉमिनी नहीं होता है। वह फॉर्म भरवा के समय नॉमिनी का नाम लिखना भूल जाता है। ऐसे में बैंक संबंधित नॉमिनी की जानकारी नहीं होती है। उस स्थिति में खाताधारक कि यदि मृत्यु हो जाती है। तब उस व्यक्ति को खाता धारक का पैसा निकलवाने के लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।