नई दिल्ली. सड़क हादसे के कारण ब्रेन डेड हुए अमरेश चंद नामक 36 वर्षीय युवक का शनिवार को एम्स ट्रामा सेंटर में अंगदान किया गया। इसलिए दुनिया छोड़ने से पहले मूलरूप से उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के रहने वाले इस युवक के अंगदान से पांच लोगों को जीवनदान मिला। उनके अंगदान से मिला फेफड़ा एम्स में 52 वर्षीय एक महिला मरीज को प्रत्यारोपित किया गया। इसलिए यह महिला मरीज अब अमरेश के फेफड़े के सहारे सांस ले सकेगी। यह एम्स में करीब तीन माह के भीतर दूसरा फेफड़ा प्रत्यारोपण सर्जरी है। फिलहाल फेफड़ा प्रत्यारोपण के बाद महिला मरीज को आइसीयू में भर्ती किया गया है। जहां पल्मोनरी मेडिसिन व कार्डियोथेरेसिक सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम मरीज की देखभाल कर रही है।

एम्स में पहला फेफड़ा प्रत्यारोपण मई के पहले सप्ताह में 12 घंटे की सर्जरी में 30 वर्षीय महिला को प्रत्यारोपित किया गया था। एम्स के अनुसार इस महिला मरीज का स्वास्थ्य ठीक है। उन्हें एम्स से छुट्टी मिल चुकी है। एम्स का कहना है कि अमरेश इंटीरियर डिजाइन कंपनी में काम करते थे। 27 जुलाई को वह अपने एक सहयोगी के साथ जैतपुर से पैदल ही ड्यूटी से लौट रहे थे। इस दौरान आटो ने उसे टक्कर मार दी।

सिर में गंभीर चोट लगने के कारण उन्हें ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया। 28 जुलाई को डाक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। इसके बाद एम्स के डाक्टरों व प्रत्यारोपण संयोजकों ने हादसे के इस युवक के अंगदान के लिए पीड़ित परिजनों से बात की और उन्हें अंगदान के लिए प्रेरित किया। जिसके बाद परिवार के लोगों ने अंगदान कराने की स्वीकृति दी। चचेरे भाई चंद्रभान गौतम ने बताया कि अमरेश बहुत ही नेक दिल इंसान थे। जब तक उनके माता-पिता इस दुनिया में रहे तब तक उन्होंने ही अपने माता-पिता की देखभाल की थी।

एम्स के आर्बो (आर्गेन ट्रांसप्लांट एंड रिट्रिवल आर्गेनाइजेशन) की प्रमुख डा. आरती विज ने कहा कि एक युवा व्यक्ति का इस तरह देहांत होना बहुत दुखद है। इससे पीड़ित परिवार को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है लेकिन मुश्किल वक्त में भी उन्होंने अंगदान से दूसरों का जीवन बचाने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि युवक के अंगदान में मिला दिल धौला कुआं स्थित आर्मी अस्पताल में ले जाकर प्रत्यारोपित किया गया।

वहीं, राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) के माध्यम से एक किडनी यकृत व पित्त विज्ञान संस्थान (आइएलबीएस) में ले जाकर एक मरीज को प्रत्यारोपित की गई। लिवर, फेफड़ा व दूसरी किडनी एम्स में अलग-अलग तीन मरीजों को प्रत्यारोपित किया गया। इससे पांच मरीजों का जीवन बचाया जा सका। यह एम्स के डाक्टरों, आर्बो, फारेंसिक विभाग व पुलिस के बीच बेहतर तालमेल से यह संभव हो सका।