कोलकाता. पश्चिम बंगाल के हावड़ा में शनिवार को पुलिस ने झारखंड के तीन कांग्रेस विधायकों को पकड़ा। इनके पास से 48 लाख रुपये बरामद हुए। इसके बाद सियासी गलियारे में तूफान आ गया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ये भाजपा का ऑपरेशन ‘लोटस’ का एक हिस्सा था, जिसकी समय से पहले ही पोल खुल गई। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने यहां तक कह दिया कि भाजपा लंबे अरसे से हेमंत सोरेन सरकार को गिराने का प्रयास कर रही है।

ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या वाकई में झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार गिराई जा सकती है? क्या भाजपा वापस से सत्ता में आ सकती है? आंकड़े क्या कहते हैं? आइए जानते हैं…

कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश का इस मामले में सबसे पहले ट्वीट सामने आया। इसमें उन्होंने भाजपा को आड़े हाथों लिया। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि झारखंड में भाजपा का ‘ऑपरेशन लोटस’ आज की रात हावड़ा में बेनकाब हो गया। दिल्ली में ‘हम दो’ का गेम प्लान झारखंड में वही करने का है जो उन्होंने महाराष्ट्र में एकनाथ-देवेंद्र (E-D) की जोड़ी से करवाया।

जयराम रमेश के बाद झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की का बयान आया। उन्होंने घटनाक्रम के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि भाजपा लंबे अरसे से हेमंत सोरेन सरकार को गिराने का प्रयास कर रही है।

कांग्रेस के आरोपों के बीच, झारखंड भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश का बयान आया। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ही नहीं, कांग्रेसी विधायक भी लूट में लगे हैं। विधायकों को बताना चाहिए कि उन्हें इतनी रकम कहां से मिली। वे जनता की मेहनत की कमाई का गलत उपयोग कर रहे हैं।

पार्टी के राज्य महासचिव आदित्य साहू ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब से कांग्रेस सत्ता में आई है, भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। इससे पहले भी झारखंड में अधिकारियों के घरों में बड़ी मात्रा में नकदी पकड़ी गई थी। वे जनता की गाढ़ी कमाई का इस्तेमाल दूसरे कामों में करते हैं। पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और यह सामने आ गया है।

ये समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव से बात की। उन्होंने आंकड़ों के साथ झारखंड की राजनीति बताई। बोले, ‘झारखंड में विधानसभा की 81 सीट है और बहुमत का आंकड़ा 41 है। 2019 में यहां विधानसभा चुनाव हुए थे, तब हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा को सबसे ज्यादा 30, भाजपा को 25 और कांग्रेस को 18 सीटें मिलीं थीं।’

अशोक आगे बताते हैं, ‘2019 में हेमंत सोरेन ने कांग्रेस, आरजेडी, एनसीपी और सीपीआई की मदद से सरकार बना ली। गठबंधन विधायकों की संख्या मिलाकर 51 हो जाती है। भाजपा दूसरे नंबर की पार्टी थी, इसलिए आज भी विपक्ष में बैठी है। भाजपा के पास ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन और दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। ऐसे में इनकी संख्या 30 है। अगर मान लिया जाए कि वाकई में भाजपा सरकार बनाने की कोशिश कर रही है तो उसे बहुमत का आंकड़ा छूने के लिए 11 और विधायकों की जरूरत पड़ेगी। यही नहीं कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के गठबंधन से भी आगे निकलना पड़ेगा। यह दो स्थिति में संभव है।’

1. झामुमो और कांग्रेस का गठबंधन टूट जाए : ऐसा संभव है। अगर झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस का गठबंधन टूट जाए तो झामुमो को समर्थन देकर भाजपा सत्ता में आ सकती है। ऐसी स्थिति में भाजपा गठबंधन के 30 और झामुमो के 30 विधायकों को मिला देंगे तो ये आंकड़ा 60 का हो जाएगा। हालांकि, ये फैसला झामुमो नेतृत्व पर ही निर्भर करता है। अगर झामुमो नेतृत्व चाहेगा तभी ऐसा संभव होगा।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह। (फाइल फोटो)6 of 6
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह। (फाइल फोटो) – फोटो : अमर उजाला

2. सत्ता पक्ष के विधायकों को तोड़कर खुद के साथ लाना : अभी कांग्रेस के 18 विधायक हैं। इसके अलावा एक आरजेडी, एक एनसीपी के विधायकों का भी सरकार को समर्थन है। भाजपा को सरकार बनाने के लिए इनके विधायकों को तोड़ना होगा। कांग्रेस से अगर 12 विधायक टूटते हैं तो भाजपा आराम से सरकार बना सकती है। चूंकि दो तिहाई विधायक एकसाथ टूटेंगे, ऐसे में इन विधायकों पर दल-बदल का कानून भी लागू नहीं होगा। वहीं, एनसीपी विधायक ने राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग करके भाजपा से नजदीकियां बता दी हैं। कांग्रेस का आरोप भी यही है कि भाजपा उनके विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है।