मेरठ। रोहटा में शनिवार की सुबह एक दर्दनाक हादसे में रोहटा पुलिस चौकी पर तैनात एक कांस्टेबल की बिजली के करंट की चपेट में आने से दर्दनाक मौत हो गई। कांस्टेबल की मौत को लेकर जहां महकमें में हड़कंप मच गया।वहीं परिवार वालों में कोहराम मचा रहा। बताया गया कि सिपाही की मेरठ जिले में यह पहली पोस्टिंग थी और कल ही अपने घर से छुट्टी विताकर वापस लौटा था। यह दर्दनाक हादसा रविवार की सुबह उस वक्त हुआ जब रोहटा थाने की कस्बा रोहटा पुलिस चौकी पर अरविंद (28) पुत्र राजेंद्र प्रसाद गांव मोहमंदपुर थाना टूंडला जिला फिरोजाबाद निवासी गांव रोहटा में ही मंगू के मकान में किराए पर परिवार के साथ रहता था।
बताया गया है कि रविवार की सुबह वह कमरें में लगे इनवर्टर से लाइट जाने के पर ठीक कर रहा था। इसी दौरान वह अचानक करंट की चपेट में आ गया और उसकी मौत हो गई। हालांकि उसे सुभारती अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।बताया गया कि अरविंद मूल रूप से फिरोजाबाद का रहने वाला था और तीन वर्ष पूर्व ही वह पुलिस विभाग में भर्ती हुआ था।
मेरठ जिले की रोहटा पुलिस चौकी पर उसकी यह पहली ही पोस्टिंग थी। हादसे में मारे गए सिपाही की सूचना के बाद महकमें में हड़कंप मच गया मौके पर एसपी देहात कमलेश बहादुर,सीओ संजय जायसवाल पहुंचे। वहीं दूसरी ओर मृतक के भाई विकास ने बताया कि वह कल ही अपनी पत्नी पुत्र और भाई विकास के साथ अपने जिले से ड्यूटी पर वापस लौटे थे और आज ही हादसा हो गया।
मृतक के भाई ने बताया कि दो वर्ष पूर्व ही उसकी शादी आरती से हुई थी और एक वर्ष का बेटा अभिराज है।उसके पिता राजेंद्र प्रसाद रिटायर्ड टीचर हैं। हादसे के बाद सिपाही का पोस्टमार्टम करके परिजनों को सौंप दिया गया। जहां गमगीन हालत में परिजन सिपाही की गार्ड ऑफ ऑनर सलामी के बाद शव को अपने पृतक गांव मोहम्मदपुर थाना टूंडला जिला फिरोजाबाद ले गए।
वर्ष 2021 बैच का सिपाही अरविंद पढ़ने में काफी होनहार था और इकहहरे बदन और एक्टिव मांइड पुलिस कर्मियों में उसकी गिनती होती थी। महज 3 साल की नौकरी में ही अरविंद नए मुकाम की तलाश में लगा हुआ था। भाई विकास ने बताया कि वह सिपाही के पद से ऊपर जाकर बड़ा अधिकारी बनना चाहता था। इसके लिए वह ड्यूटी टाइम के बाद में पीसीएस की तैयारी कर रहा था। भाई विकास ने यह भी बताया कि शनिवार को ही पत्नी आरती बेटे अभिराज और वह एक सप्ताह की छुट्टी काटकर वापस लौटे थे।लेकिन वक्त को कुछ और ही मंजूर था।