नई दिल्ली. इंसान के शरीर में एक नया अंग मिला है. हाल ही में वैज्ञानिकों ने इस नए अंग को खोजा है और इसका काम श्‍वसन प्रणाली को दुरुस्‍त रखना है. इस नए अंग ने वैज्ञानिकों को एक आशा की नई किरण दी है. उन्‍हें उम्‍मीद है कि इस अंग की मदद से ऐसे मरीजों को बचाने में मदद मिलेगी जो धूम्रपान से संबंधित बीमारियों से ग्रस्‍त हैं. कई बार धूम्रपान के कारण होने वाली बीमारियां मरीजों की जान ले लेती हैं.

कोशिका जैसा है ये अंग
लाइव साइंस वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक इंसान के शरीर में मिला यह नया अंग कोशिका की तरह दिखता है. साथ ही यह फेफड़ों में मौजूद पतली और बेहद नाजुक शाखाओं में पाया जाता है. इस नए अंग को वैज्ञानिकों ने रेस्पिरेटरी एयरवे सेक्रेटरी नाम दिया है. RAS कोशिकाएं स्टेम सेल्स की तरह होती हैं. इन्हें ब्लैंक कैनवास कोशिकाएं कहते हैं, क्योंकि ये शरीर के अंदर किसी भी तरह के नए अंग या कोशिकाओं की पहचान करते हैं.

नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्‍ययन के मुताबिक शोधकर्ताओं ने पाया कि आरएएस कोशिकाएं फेफड़ों पर निर्भर रहती थीं. क्योंकि उनका पूरा काम फेफड़ों से संबंधित प्रणालियों से ही चलता है. इसके बाद वैज्ञानिकों ने एक स्वस्थ इंसान के फेफड़ों का ऊतक (टिश्यू) लिया. इसके बाद हर कोशिका के अंदर मौजूद जींस का विश्लेषण किया गया, तब आरएएस कोशिकाओं का पता चला.

नेवले में भी मिलीं RAS कोशिकाएं
यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया के पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर एडवर्ड मॉरिसे का कहना है कि यह बात तो पहले से पता थी कि इंसानी फेफड़ों की शाखाएं यानी हवाओं के आने-जाने का मार्ग चूहों के फेफड़ों से अलग होते हैं. नई तकनीकों के विकसित होने से हमें यह फायदा हुआ कि हम इस नई कोशिका को खोज पाए. अब हम उसके सैंपल की जांच कर पाए. इंसान के अलावा नेवले की जाति के जानवर फेरेट्स के फेफड़ों में भी RAS कोशिकाएं मिली हैं. यह काफी हद तक इंसान में मिलीं RAS कोशिकाएं जैसी हैं.

ये है आरएएस कोशिकाओं का काम
RAS कोशिकाएं ऐसे कणों का रिसाव करती हैं, जो ब्रॉन्किओल्स (वो अंग जो खून के अंदर ऑक्‍सीजन और कार्बन डाइ ऑक्‍साइड का आदान-प्रदान करते हैं) में बहने वाले तरल पदार्थों के लिए परत बनाने का काम करते हैं. जिससे फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है. ये प्रोजेनिटर कोशिकाओं की तरह यानी एल्वियोलर टाइप-2 (एटी2) कोशिकाओं जैसे काम करते हैं. यह एक विशेष तरह की कोशिका होती है, जो क्षतिग्रस्त हो चुकी छोटी कोशिकाओं को ठीक करने के लिए रसायन निकालती है.