मॉस्को: भारत के हैदराबाद शहर के रहने वाले 30 साल के असफान की रूस-यूक्रेन युद्ध में मौत हो गई ह। असफान को सिक्योरिटी हेल्पर की नौकरी बताते हुए रूसी सेना में शामिल किया गया था लेकिन धोखा देते हुए उसे यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध में भेज दिया गया। यूक्रेन के एक हमले में उसकी मौत हो गई। मोहम्मद असफान के हाल हीं मे ये बताया था कि एजेंट झूठ बोलकर उसको ले गया है और रूसी सेना में भर्ती करा दिया है। परिवार ने हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी से मदद की अपील भी की थी। ओवैसी ने इसके बाद मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क कर असफान के बारे में जानकारी चाही तो अधिकारियों ने युद्ध क्षेत्र में उसकी मौत की पुष्टि की।
रूस-यूक्रेन युद्ध में किसी भारतीय की ये पहली मौत नहीं है। फरवरी के आखिर में रूस में एक भारतीय की मौत हुई थी। 23 साल का ये युवक गुजरात का रहने वाला था और सिक्योरिटी हेल्पर के तौर रूसी सेना में शामिल हुआ था। हमले से बचकर निकले एक अन्य भारतीय कर्मचारी ने बताया कि 21 फरवरी को यूक्रेनी हवाई हमले में रूसी सेना द्वारा सुरक्षा सहायक के रूप में नियुक्त किया गया गुजरात का 23 वर्षीय व्यक्ति मारा गया। उसको रूस-यूक्रेन सीमा पर डोनेट्स्क क्षेत्र में तैनात किया गया था। उसको फायरिंग करने की ट्रेनिंग दी जा रही थी, उसी समय मिसाइल से हमला हुआ। इस हमले में युवक की जान चली गई।
विदेश मंत्रालय ने भी स्वीकार किया कि कुछ युवाओं को रूसी सेना में शामिल किया गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने इस बात को स्वीकारा था कि कुछ भारतीयों को कुछ एजेंटों के जरिए रूसी सेना में भर्ती किया गया। इनको बाद में रूस-यूक्रेन युद्ध में उतार दिया गया। ये डील के खिलाफ था क्योंकि भारतीय नागरिकों को रूसी सेना के साथ सहायक नौकरियों के लिए बुलाया गया था।
रूस में जाकर फंसे भारतीय युवाओं के परिवार लगातार भारत सरकार से मदद की अपील कर रहे हैं। इन परिवारों की केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय से मांग है कि रूस में फंसे को वापस लाया जाए और धोखे से इनको भेजने वाले एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई हो। परिवारों के मुताबिक इन एजेंटों ने युवाओं सेना के सहायक के रूप में नौकरी मिलने की बात की थी, जिसका लड़ाई से कोई संबंध नहीं होगा। रूस पहुंचने के बाद इनको सेना में शामिल कर लड़ने के लिए भेजा जा रहा है।