नई दिल्ली. दुनिया में कई रहस्य हैं जिनके बारे में जानने की वैज्ञानिक कोशिश कर रहे हैं। अब इस बीच एक ऐसी खबर सामने आई है जिसके बारे में जानकर आप हैरत में पड़ जाएंगे। अंटार्कटिका में एक टेलर ग्लेशियर है जिससे खून का झरना बह रहा है। पूर्वी अंटार्कटिका के विक्टोरिया लैंड पर टेलर ग्लेशियर स्थित है। खोजकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने इस ग्लेशियर से खून का झरना बहता देख हैरान हो गए।
बताया जा रहा है कि टेलर ग्लेशियर से यह खून का झरना दशकों से इसी तरह बह रहा है। वैज्ञानिक इस ग्लेशियर से खून का झरना बहने की वजह का पता अब जाकर लगा पाए हैं। उनका कहना है कि टेलर ग्लेशियर के नीचे एक बेहद प्राचीन जगह है। माना जाता है कि इस जगह पर जीवन है यानी ग्लेशियर के नीचे जीवन पनपा रहा है। कुछ वैज्ञानिकों ने नजदीक से खून के झरने को देखा है। उन्होंने सैंपल की जांच की और बताया उसका स्वाद नमकीन है जिस तरह खून का होता है। यह जगह खतरों से भरा हुआ है और यहां जाना जान जोखिम में डालने की तरह है।
ब्रिटिश खोजकर्ता थॉमस ग्रिफिथ टेलर ने सबसे पहले खून के झरने की खोज साल 1911 में की थी। यूरोपियन वैज्ञानिक अंटार्कटिका के इस क्षेत्र में सबसे पहले पहुंचे थे। ब्रिटिश खोजकर्ता थॉमस और उनके साथियों ने इस लाल रंग को एल्गी समझा था। लेकिन ऐसा कुछ नहीं था जिसके बाद इस मान्यता को रद्द कर दिया गया।
वैज्ञानिकों को साल 1960 में पता चला कि गेल्श्यिर के नीचे लौह नमक मौजूद है। लौह नमक का मतलब फेरिक हाइड्रोक्साइड। बर्फ की मोटी परत से निकल रहा है जैसे आप पाउच से शैंपू निकालते हैं। इसके बाद साल 2009 में एक स्टडी से हैरान करने वाला खुलासा हुआ। इस ग्लेशियर के नीचे सूक्ष्मजीव होने की जानकारी मिली। इसके कारण ग्लेशियर से खून का झरना निकल रहा है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस ग्लेशियर के नीचे 15 से 40 लाख साल से सूक्ष्मजीव रह रहे हैं। बहुत बड़े इकोसिस्टम का यह छोटा सा भाग है जिसे वैज्ञानिक खोज पाए हैं। वैज्ञानिकों को एक इलाके से दूसरे इलाके तक की खोज करने में दशकों लग जाएंगे। इस क्षेत्र में आना जाना और रहना बेहद कठिन है।
प्रयोगशाला में खून के झरने के पानी की जांच की गई, तो इसमें दुर्लभ सबग्लेशियल इकोसिस्टम के बैक्टीरिया पाए गए। इनके बारे में किसी को भी कोई जानकारी नहीं है। जहां पर ऑक्सीजन नहीं है वहां पर यह जिंदा है। बिना फोटोसिंथेसिस इस जगह पर बैक्टीरिया जीवित हैं और नए बैक्टीरिया पैदा हो रहे हैं। इस जगह पर तापमान दिन में माइनस सात डिग्री सेल्सियस रहता है और खून का झरना बेहद ठंडा है। यह नमक की वजह से जमता नहीं है और बहता रहता है। नमक नहीं होता, तो जम जाता।
वैज्ञानिकों के लिए अभी यह रहस्य है कि आखिर खून के झरने पर अंदर से कौन दबाव डला रहा है। इस प्रेशर की वजह से ग्लेशियर से खून का खरना बाहर निकल रहा है। ग्लेशियर के नीचे खून के झरने का स्त्रोत लाखों साल से दबा है।